कविताएं - थोड़ी मिट्टी थोड़ा आकाश - मनीषा झा
थोड़ी मिट्टी थोड़ा आकाश
न खुश हूँ न उदास जिंदगी का हाल ये जैसे पगडंडी पर घास
शरद की चांदनी पूनम की मुस्कान हवा की तान पर खिलते
हैं कांस।
न बहुत दूर है न बहुत पास एक मेरी आवाज पर
वो भेजता सुवास।
वो भेजता सुवास। तुमने कहा कह दो सब लो लिख दिया मैंने
थोड़ी मिट्टी थोड़ा आकाश।
मनीषा झा
संपर्क : प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, उत्तर बंग विश्वविद्यालय, सिलीगुड़ी मो.नं. : 9434462850