चार अनूदित कविताएं
दीप्ति गुप्ता
दीप्ति गुप्ता 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भारतीय संस्कृति के तहत साहित्य के माध्यम से 'सांस्कृतिक आदान-प्रदान' की सुन्दर भावना से सोचें तो, कविता भारत की जमीन पर जन्मी हो या विश्व के अन्य किसी देश की धरती पर, उसकी सम्वेदना, मृदुलता और कोमलता हर पाठक मन को आन्दोलित करने वाली होती है! इस उदात्त मनोभाव से हमारे मनीषी पाठकों के लिए प्रस्तुत है, समकालीन पाश्चात्य कवियों की कविताओं का अनुवाद!
हाडा सेन्डू
मंगोलिया के विश्व विख्यात कवि 'हाडा सेन्ड्र' जो 'विश्व काव्य एल्मेनैक' के संस्थापक है और अपनी उत्तम कविताओं की वजह से विश्व काव्य जगत में अपनी खास पहचान रखते हैं! पन्द्रह से अधिक पुस्तकों के रचयिता ‘हाडा' की कविताएँ तीस से अधिक भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं! यहाँ प्रस्तुत हैं, उनकी दो कविताएँ In the Woods और Perhaps I'm resigned to die another death' हिन्दी में:
कविताएं - वीरान वन में - दीप्ति गुप्ता
वीरान वन में
सो अंततः
मुझे सोना और सिल्क कुछ नहीं चाहिए
अगर सम्भव हो तो
मैं रात में अपने घोड़े के लिए
चारे की तलाश में घूमना चाहूँगा
मैं ही नहीं, वह भी बहुत थका हुआ है
जब एकान्त की खामोशी पसरी हो, तो
मुझे एक सुनहरा सूरजमुखी देना
मैं झींगुरों और गीत गाती कोयलों
के बीच चलता चला जाऊंगा...
मुझे अफसोस नहीं है कि
मैंने बेइंतहा प्यार किया
मुझे माफ़ कर देना कि
मैं या तो बहुत जल्दी आया या बहुत देर से!!!
कविताएं - शायद मैं दूसरी मौत मरने के लिए तज दिया गया हूँ - दीप्ति गुप्ता
शायद मैं दूसरी मौत मरने के लिए तज दिया गया हूँ
हवा का झोंका उत्तर की बहा
रूखे और सूखे पेड़
जो लधाराओं की तरह पुरनम नहीं हैं
बादल और लकड़ी का पुल
रात और घास का मैदान
पनीरी श्वेत चांदनी
अधिक शान्त होती है
हालांकि धरती खुदाई करने वालों की
चीख-चिल्लाहट को सहन करती रहती है
जैसे कि आंखें आंसुओं को बाहर लुढ़कने से रोके रखती है।
मुझे अपनी ज़िन्दगी से बहुत उम्मीदें
नहीं हैं सिवाय के जंगली घोड़ों को
हवा का पीछा करते हुए देखना चाहता रहा
शायद-शायद मैं दूसरी मौत मरने के लिए तज दिया दिया
गया हूँ
दीप्ति गुप्ता