कविताएं -   दीप्ति गुप्ता 

रहीम करीमोव


अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित, उजबेक-रूस के 'रहीम करीमोव' विश्व के मशहूर कवि हैं! चालीस से अधिक पुस्तकों के रचयिता, 'करीमोव' की कविताएँ अनेक भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं! यहाँ प्रस्तुत उनकी दो कविताएँ 'Trees and leaves' और 'Do Not Be A Poet In Me हिन्दी में:


 


कविताएं - तरु और पत्ते -  दीप्ति गुप्ता 


तरु और पत्ते


 


पेड़ अब सक्षम नहीं हैं


पीले पत्तों का बोझ


सम्हालने के लिए


या पत्ते ही अब नहीं चाहते


पेड़ों की बाहों में होना।


उनका रिश्ता बहुत नाजुक है।


कोई भी इंसान और कोई भी शक्ति या दुआ


नहीं बचा सकती है उनके प्यार के रिश्ते को


उनके भाग्य में अलगाव बदा है।


कल ही की तो बात है


वे खुश थे, खिले-खिले थे


वे हरे-भरे थे, उन पर भीनी महक वाले


खूबसूरत फल लदे थे


सब कुछ दिव्य आनंद से आपूरित था...


लगता है कि दरखत


लोगों को उनके क्षणभंगुर अस्तित्व की याद


दिलाने के लिए ही


जन्मते हैं।


                                                                                                              


कविताएं - मेरे मन को कवि मत बनने दो -  दीप्ति गुप्ता 


मेरे मन को कवि मत बनने दो


 


ओह मेरे अंदर के कवि को मत जगाओ


उसका आह्वान मत करो..


उसे सोने दो, एक गहरी नींद


सुख-सपनों में खोने दो.


क्यों बेकार में उजाले की व्यथा की


याद दिलाते हो, बीते हुए को


वापस बुलाना चाहते हो


किसी तरह अभी-अभी अयाचित तूफान


विदा हुआ है, वापस गया है!


 


ओह मेरे अंदर के कवि को मत जगाओ


मैंने किसी तरह बहुत मुश्किल से उसे सुलाया है


ग्रीष्म को क्षितिज पर विदा होने दो


कवि ने अभी-अभी कछ चित्रकारी करके


अपने पेस्टल रंग की पेंसिलों को रखा है!


 


ओह, तुम मेरे अंदर के कवि को मत जगाओ


वह सारी कविताओं से घिरा हुआ घूमता रहा है


उसे उजाले से दूर अपनी रूह के साथ आराम करने दो


कविता कभी दर्द भरे दिल से दूर नहीं होती है!!!


                                                                                            दीप्ति गुप्ता