कविता - क़हर और ज़हर - राहुल कुमार बोयल

कविता - क़हर और ज़हर - राहुल कुमार बोयल


 


क़हर और ज़हर


 


क्या तुम जानते हो


कहर क्या होता है?


चलिए, छोड़िए


यही बता दीजिए


कि जहर क्या होता है?


 


यदि कहर की बात पर


तुम्हारे जहन में आ रहा है भूकम्प,


बाढ़, सुनामी या बवण्डर का कोई दृश्य


तो यकीनन जहर के ज़िक्र पर


दिल में आ रहा होगा


रसायनों की शीशियाँ,


फिनायल की बोतल और


सल्फास की गोलियों जैसा ही कुछ


पर यह आधा ही सच है


कहर और जहर के बारे में।


 


अपनी बात कहते हुए कविता में


यदि तुम्हे मैं मुस्कुराने या सोचने को


मजबूर नहीं कर पा रहा


और मेरी बात तुम्हारे कानों से होकर


नहीं जा पा रही तुम्हारे दिलों तक


तो यह कविता जहर है मेरे लिए


और मुझे ऐसे जहर के कहर से बचना चाहिए।


 


                                                                                    राहुल कुमार बोयल, सम्पर्क : मो.नं. : 7726060287