कविता - नौजवानों के लिए कवि - शरद चन्द्र श्रीवास्तव 

कविता - नौजवानों के लिए कवि - शरद चन्द्र श्रीवास्तव 


नौजवानों के लिए कवि


 


किसी ने कहा बच्चों के लिए


शिक्षक होते हैं


और


नौजवानों के लिए


कवि, इसीलिए


कविता रचते हुए


कांपती है कलम,


कसकर थामता हूँ


डूबती उतराती


अपनी नब्ज,


जिससे, नौजवानों को सिखाया गया


सबक,


ऐसी उलट बांसी न बन जाए


कि.


नौजवान शैतान को मसीहा


मसीहा को शैतान मान बैठे,


मूर्खताओं के पहाड़


इतने बड़े न बन जाएं


कि, वे लाँघे ही न जा सकें


यह सरासर मेरी ही गलती होगी


गर - 


प्रार्थना की लय में लीन,


एक बूढ़ा


रक्तपात को हाथों में थामें,


इसलिए साजिश


का शिकार हो,


कि, वह पुल बनाना चाहता था,


लोगों की धमनियों में बह रही


नदी के बीच,


मुझे,


सचमुच सतर्कता की जरूरत है,


जब कभी मैं


धर्मग्रन्थों की धूल झाडूं


और-


धर्मग्रन्थों की आड मे बैठे लोग


इसे साजिश करार दें,


चाँद को चाँद कहूँ,


और


लोग उसे देवता का अपमान कहें


मैं कवि हूँ,


मुझे कलम की ताकत पहचाननी होगी


वरना,


कलम से रची गई कई उलटबांसियाँ,


हत्या भी करती हैं।


 


                                                                                                                                               मो.नं. : 9450090743