कविता - भारत के भविष्य को सो लेने दो थोड़ा चैन से - शैलेंद्र शांत

कविता - भारत के भविष्य को सो लेने दो थोड़ा चैन से - शैलेंद्र शांत


 


भारत के भविष्य को सो लेने दो थोड़ा चैन से


 


खाट से निकल कर


चटाई में कैसे गए पैठ


चीलरों को कैसे पटाया


और कैसे कर ली


मच्छरों से दोस्ती


जैसे भी कर ली हो,


पर ऐ खटमल


रहम करो, थोड़ा रहम करो


मत करो मिलजुल कर


उस पर हमला


सभ्यता के हमले से


त्रस्त संतान पर रहम करो


सुबह मक्खियों ने


कुछ ज्यादा ही प्रेम जताया था


चीटें ने भी बड़े प्रेम से काट खाया था


फुटपाथों पर विचरने की मिली है आजादी


तो बेझिझक उठाते रहो इसका लुत्फ


पर इतना तो नहीं शोर मचाओ


कि तुम्हारे भों-भों से जाग जाए


मां को नहीं पा कर पास चीखे-चिल्लाए


खलल न डालो उसकी नींद में


भारत के भविष्य को सो लेने दो थोड़ा चैन से।


                                                                   संपर्क : द्वारा, आरती श्रीवास्तव, जीवनदीप अपार्टमेंट, तीसरी मंजिल, 36, सबुज पल्ली,


                                                                   देशप्रियनगर, बेलघरिया, कोलकाता-700056, पश्चिम बंगाल मो.नं. : 9903146990