लघुकथा- भाई -  किशोर कुमार कर्ण,

लघुकथा- भाई -  किशोर कुमार कर्ण


 


भाई


 


दस-दस, पाँच-पाँच पैसा करके भाई साहब ने गुल्लक को भरे थे। लेकिन जब गुल्लक फोड़े तो मात्र एक रूपया पंद्रह पैसा ही निकला। गुस्सा सांतवें आसमान पर चढ़ गया"आखिर सारा पैसा गया कहाँ? जरूर उस छोकरे का काम होगा। सारा पैसा इसमें से निकाल लिया। आज आने दो उसको, मार-मार कर चमड़ी उधेर न दी, तो मेरा नाम नहीं।'' महेश अपनी पंतग उड़ाने की धुन में पंतग लेने आया था। भाई साहब देखते ही गरज पड़े- "महेश इधर आओ।" महेश सिटपिटाते हुए उनके सामने पहुंचा। चोर को पहले ही अंदेशा हो जाती है कि उसकी चोरी पकड़ी गई। सामने आकर खड़ा हो गया। भाई साहब कड़के- "पैसा तुने चुराई, बोल!" महेश कुछ बोल न सका। चुप्पी साधे रहा। जितना चुप था, भाई साहब का गुस्सा उतना ही बढ़ता जा रहा था। बेल्ट निकाली और तरातर दो-चार बेल्ट जड़ दी। फिर भी महेश कुछ नहीं बोला। इस बार भाई साहब रस्सी से खम्भा में उसको बांधे फिर तरातर बेल्ट से पिटाई करने लगे। कुछ देर तो मॉ देखती रहीफिर ममता जागते ही उसने रोकी - "क्या मार दोगे, इसको।" "हट जाओ बीच में से, इसे आज जान ही मार दूंगा।" मॉ के बीच- बचाव से मामला शांत हुआ। बहलाते - फुसलाते मॉ ने पूछा"उस पैसे का क्या किया।" फिर महेश आहिस्ता से बोला। "कॉमिक्स खरीद ली।" मॉ ने आश्चर्य से पूछा- "सारे पैसे का कॉमिक्स खरीद लिया।" महेश ने हामी भर दी।


    धीरे-धीरे मामला ठंडा पड़ चुका था। सुबह से दोपहर हो गई। भाई साहब का भी मिजाज ठंडा हो गया थाउनको भी मारने का अफसोस हो रहा था। उन्होंने कहा-"चलो मेरे साथ कहीं बाहर चलते हैं।' महेश सहमते हुए उनके पास आया। भाई साहब सिर पर हाथ फेरते बोले- "पैसा चुराया क्यों, मुझसे मांग लेता।" कह कर पुचकारने लगे। "चलो बाहर!'' दोनों भाई बाजार गए। वहाँ महेश के मनपंसद की मिठाई खिलाई। चप्पल खरीद दी। भाई तो भाई ही होते हैं। छोटा भाई के लिए बड़ा भाई का प्यार उमर पड़ा। "देखो अगली बार से चोरी मत करना। जो जरूरत की चीज हो मुझसे मांग लेना।" दोनों भाई के ऑख सजल हो चुकी थीगले मिलकर महेश ने कहा- "जी भैया, अब से चोरी कभी नहीं करूँगा।" दिन भर बाजार में घूमते रहे, शाम को घर पहुंचे तो आसमान साफ हो चुका था। संध्या वेला की लालिमा गगन में छाई हुई थी।


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                                                                                                                    किशोर कुमार कर्ण,पटना बिहार