कविता - चीटियाँ - मुकेश  कुमार

कविता - चीटियाँ - मुकेश  कुमार


                            शोधार्थी एम. फिल), हिन्दी विभाग, अम्बेडकर भवन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय


चीटियाँ


 


 


लाल - लाल या काली - काली


चीटियाँ जब भी देखना


तो किसानों के खलिहानों में बिछे गेहूँ


याद कर लेना


कैसे अपने वजन से भारी गेहूँ  के दाने उठाती है चीटियाँ ?


जब भी किसी चींटी के पंख निकले हुए दिखे


तो समझ लेना


अकाल पड़ने वाला है


                                              सम्पर्क : समरहिल, शिमला-१७१००५, हिमाचल प्रदेश मो. नं.: 8580715221