कविता - चीटियाँ - मुकेश कुमार
शोधार्थी एम. फिल), हिन्दी विभाग, अम्बेडकर भवन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
चीटियाँ
लाल - लाल या काली - काली
चीटियाँ जब भी देखना
तो किसानों के खलिहानों में बिछे गेहूँ
याद कर लेना
कैसे अपने वजन से भारी गेहूँ के दाने उठाती है चीटियाँ ?
जब भी किसी चींटी के पंख निकले हुए दिखे
तो समझ लेना
अकाल पड़ने वाला है
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