कविता -  थोड़ी सी सुन्दर पृथ्वी के लिए - चन्द्र
कविता -  थोड़ी सी सुन्दर पृथ्वी के लिए - चन्द्र

 


यदि मुझमें नहीं है तनिक भी प्यार
यदि मैं आदमी नहीं हूँ मिलनसार
यदि मैं सीख नहीं सकता तनिक भी ज्ञान
यदि मैं लिख नहीं सकता अपनी लोक भाषा में मधुर गान
यदि मैं पढ़ नहीं सकता और कवियों की कविताएँ
यदि मैं अपने श्रम का लहू बहाकर
इस धरती पर उपजा नहीं सकता अनाज
यदि मैं इस धरती पर रोप नहीं सकता एक भी पेड़ का बीज
यदि मैं पीड़ितों की पीड़ाएँ देख
नहीं सकता भीतर बाहर पसीज
यदि मैं दुनिया के अनाथ और मासूम मासूम
बच्चे बच्चियों के होठों पर नहीं सकता चूम
और नहीं दे सकता यदि इन्हें दो जून की रोटी औ' नून


यदि मैं थोड़ी सी दुनिया में
अपने पैरों पर खड़ा हो कर नहीं
यदि मैं अपने जीवन में कभी भी न करूँ दान-पुण्य


यदि मैं बचा नहीं सकता चिड़ियों के सुन्दर घोंसलों के लिए
घास-फूस का घर
यदि मैं बचा नहीं सकता नदी पर्वत झील सरोवर और विश्व पर्यावरण


यदि मैं सिर्फ अपने ही दुखों को दुख कहूँ ,समझूँ
और औरों के दुखों पर दूँ लात मार


यदि मेरे जीने से पृथ्वी भी धीरे धीरे मरने लगे


तो मुझे ही मर जाना चाहिए
मर जाना चाहिए मेरे भाई
थोड़ी सी सुन्दर पृथ्वी के लिए
मुझे ही मर जाना चाहिए!!


 


                                                    चन्द्र, ग्राम - खेरोनी कछारी गाँव, पो. खेरोनी, जिला - कर्बींलोंग , 782448, आसाम


                                                     मोबा. -9365909065