कविता -     मेरे गांव की सड़क - श्वेतांक कुमार सिंह

कविता -     मेरे गांव की सड़क - श्वेतांक कुमार सिंह

 

 

मेरे गांव की सड़क

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हुकूमत बदलती है

हुक्मरान बदलते हैं

पक्ष और विपक्ष में

कुछ नाम बदलते हैं

 

होता रहता है ऐसा

अपने नियत समय से

कभी-कभी समय पूर्व भी

पर

मैं बचपन से

इंतजार में हूँ

गांव से बाजार जाने वाली

मेरी प्रिय सड़क के

बदलने का,

घोषणापत्रों जितना

खूबसूरत बनने का,

उसके जिस्म पर

गढ्ढे से घावों के

भरने का।

बाजार से घर

सुरक्षित लौट पाने का

और

हुकूमत के सचमुच बदलने का।

 

                                            श्वेतांक कुमार सिंह,(प्रदेश संयोजक एन वी एन यू फाउंडेशन),बलिया, उ.प्र.

                                            मोबाइल-- 8318983664