कविता - गुजरते हुए इस शोर में - गौरव भारती
गुजरते हुए इस शोर में
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कुछ नहीं बचेगा
गुजरते हुए इस शोर में
बस बचा रह जाएगा जहन में
तुम्हारे हाथों का कौर
तुम्हारा अल्हड़पन
तुम्हारी जिद
तुम्हारी मुस्कराहट
और तुम्हारे गालों पर लुढ़कते हुए आँसुओं का बिम्ब
जो मेरा पीछा करेंगी
तमाम उम्र ...
गौरव भारती,शोधार्थी,भारतीय भाषा केंद्र , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
कमरा संख्या-108, झेलम छात्रावास , जे.एन.यू.,पिन-110067
मोबाइल- 9015326408