कविता - एल्बम एक आईना है - गौरव भारती,

कविता - एल्बम एक आईना है - गौरव भारती,


 


एल्बम एक आईना है


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नजरें साथ नहीं दे रही


हाथ अचानक कांपने लगते हैं


थोड़ी दूर चलता हूँ


हाँफ कर बैठ जाता हूँ


 


एक वक़्त था


जब वक़्त नहीं था


आज एक दिन बड़ी मुश्किल से बीतता है


मैं महसूस करता हूँ कि


वक़्त को खर्च करना भी एक कला है


बिल्कुल उसी तरह


जैसे कविता लिखना


या फिर किसी वाद्य-यंत्र को साधना


 


गुजरते हुए वक़्त में


मैं तुम्हें याद करता हूँ


लेकिन याद करने की कोशिश में


बहुत कुछ छूट जाता है


ऐसा लगता है


मानों उपेक्षित यादों ने आत्महत्याएं कर ली हो


 


 सच कहूं तो


भूलने लगा हूँ अब


भूलने लगा हूँ अपना बचपन


खुद का जवान होना


तुम्हारा प्रेम


तुम्हारी सूरत


यहाँ तक कि नींद लेना भी


 


आजकल एल्बम लिए घंटो बैठा रहता हूँ


खुद को ढूँढता हूँ


तुम्हें टटोलता हूँ


एल्बम एक आईना है


जिसे निहारकर खुद को याद रखना आसान हो जाता है


 


                                           गौरव भारती,शोधार्थी,भारतीय भाषा केंद्र , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,


                                           कमरा संख्या-108, झेलम छात्रावास , जे.एन.यू.,पिन-110067


                                           मोबाइल- 9015326408