कविता -   दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में - गौरव भारती, 

कविता -   दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में - गौरव भारती, 


 


.दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में


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तस्वीरें डराती हैं


असहाय रूदन किसी दुःखस्वप्न से मालूम होते हैं


मगर ये हक़ीक़त है मेरी जां


कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में


सत्ताधारियों के लिए


ठंडे होते मासूम जिस्म महज आंकड़े हैं


देश के भविष्य नहीं


 


उनके अपने आंकड़े हैं


उनका अपना विकास है


सबसे अलहदा भविष्य देखा है उन्होंने


लेकिन मैं उस भविष्य का क्या करूँ


उस विकास का क्या करूँ


जो उन बस्तियों से होकर नहीं गुजरती


जहाँ रोज भविष्य


वर्तमान का शिकार हो रहा है


 


इस अर्थतंत्र में


इस बाजार में


जहाँ सबकुछ दांव पर लगा है


मेरी एक छोटी सी ख़्वाहिश है कि


उनका देश रहे न रहे


हमारा मुल्क रहना रहना चाहिए


बस्तियां रहनी चाहिए


किलकारियां रहनी चाहिए


तितलियां रहनी चाहिए


और रहनी चाहिए खिलौनों की गुंजाइश...


 


                                       गौरव भारती, शोधार्थी, भारतीय भाषा केंद्र , जे.एन.यू., कमरा संख्या-108,


                                        झेलम छात्रावास , जे.एन.यू., पिन-110067, मो0- 9015326408