कविता - बहुत अधिक की प्रक्रिया है - राहुल कुमार बोयल

कविता - बहुत अधिक की प्रक्रिया है - राहुल कुमार बोयल


 


बहुत अधिक की प्रक्रिया


 


बहुत अधिक प्रेम जताना


प्रेम से अधिक संदेह जताता है


बहुत अधिक अनदेखी भी


इसी प्रक्रिया में शामिल है।


 


तुम मेरी नींदों को तोड़ो


और मेरे स्वप्नों में खलल डालो


या ऐसा करो


मेरे स्वप्नों को तोड़ो


और मेरी नींदों में खलल डालो


मेरी कविताओं में मत झांको


 


बहुत कुछ है, जो मेरा लगता है


पर मेरा नहीं है


न दर्द, न दुःख


जैसे मैं उठा हूँ, मेरा प्रेम भी


इसी प्रक्रिया में शामिल है।


 


मेरी कविताओं को रस्सी बनाकर


अपने गले में मत डालो


इनको शहद की तरह


जीभ पर रखो


और कण्ठ में उड़ेल लो


यदि कोई तुम्हे कहे कि तुम


क्रोध में और सुन्दर दिखते हो


तो दर्पण में ज़रूर देखो


भ्रम टूटना भी जीवन की


इसी प्रक्रिया में शामिल है।


 


बहुत अधिक क्रोध भी


विरोध नहीं, छलावा लगता है


बहुत अधिक खिलखिलाहट भी


इसी प्रक्रिया में शामिल है


 


                                                                                                                             सम्पर्क - राहुल कुमार बोयल, मो.नं. : ७७२६०६०२८७