ग़ज़लें - फूलचंद गुप्ता
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हो गया विश्राम पूरा उठ सवेरा हो गया
देख तेरे साथियों का दूर डेरा हो गया
ये नहीं कि चील क्यों मंडरा रही आकाश में
अस्ल मसला है कहाँ कमजोर घेरा हो गया?
सूर्य ने मुझको लगा , जाते समय मुझसे कहा
चंद दिन की बात है , संसार तेरा हो गया !
सूख जाती है नदी तो फिर निकल आती नई
है सनातन सत्य , दृढ़ विश्वास मेरा हो गया
मैं चला था खाइयों से , मैं गया आकाश तक
लौट आया फिर धरा पर पूर्ण फेरा हो गया
. ..फूलचंद गुप्ता
बी/7, आनंद बंगलोज , गायत्री मंदिर रोड , महावीर नगर,
हिम्मत नगर -383001 गुजरात, मो.94263 79499