बाल कविता – तिरंगा - नीरज त्यागी,
तिरंगा
रवि और उसका बेटा गुडू आज १५ अगस्त की छुट्टी के दिन अपनी
कार में बैठकर एंजॉय करते हुए बाहर घूम रहे थे और गुडू
जगह जगह रुककर पूरे शहर का मजा ले रहा था।
एक चौराहे पर अचानक एक छोटा सा बच्चा हमारा तिरंगा झंडा
बेचता हुआ दिखाई दिया। भारत के तिरंगे को देखकर गुड्डू के मन
में तिरंगे को खरीदने की इच्छा हुई
उसने अपने पापा से कहा, पापा वो छोटा सा तिरंगा लेलो।गाड़ी के
डेस्क बोर्ड पर लगाएंगे। रवि तुरंत तैयार हो गया और तिरंगा उसने
कार के डेस्क बोर्ड पर लगा दिया
गुडू बहुत खुश हुआ१५ अगस्त के ४ दिन बाद रवि अपने बेटे
और पत्नी के साथ शाम के समय कहीं जा रहा था। कि अचानक
कुछ ऐसी घटना हुई जिससे गुड्डु बहुत दुखी हुआ।
रवि कार से जा रहे थे कि अचानक एक शराब की दुकान पर जाकर
शराब की बोतल और बराबर से ही नमकीन का पैकेट और सिगरेट
ले आए। गुडू के पिता के शराब पीने की आदत की वजह से उनकी
पत्नी भी कुछ नही कहती थी1
गुडू अपनी परेशानी अपने पिता से छुपा ना सका और उसने अपने
पिता से कहाँ, पापा वहां डेस्क बोर्ड से तिरंगा हटा दो इस तरीके
से आपका गाड़ी में बैठकर शराब पीना मुझे तिरंगे का अपमान लग
रहा है।
बेटे की ये बात सुनकर रवि शर्मिंदा हो गया और उन्होंने तुरंत
अपना सारा शराब पीने का सामान उठाकर कार के बाहर फैक दिया।
ऐसा नही है कि केवल बड़े लोग ही हमेशा अपने बच्चो को
समझाते रहे और अपनी बातों को बच्चो को मानने के लिए कहते
रहे ।यदि कोई बात छोटे बच्चो को गलत लगे तो उन्हें भी अपने
बडो को उसे करने से रोकना चाहिए।
सम्पर्क : नीरज त्यागी, ६५/५ लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने गाजियाबाद-२०१००१, उत्तर प्रदेश
मो.नं. : ९५८२४८८६९८