बाल कविता- शरारती चिम्पू- नीरज त्यागी
शरारती चिम्पू
एक मदारी का बंदर था चिम्पू,
रोज उछल कूद बहुत मचाता1
अपनी शैतानी पर खूब इठलाता,
एक रोज चिम्पू हो गया आजाद1
मदारी को छोड़ जंगल जा पहुचा,
मोबाइल मदारी का है उसके पास1
सब जंगल के जानवरों को दिखाता,
अपना रोब उन पर खूब जमाता।
मोबाइल पाने की है उसे आश,
चिम्पू बंदर है बहुत ही चालाक1
पेड पर चढ़ा राजा की जानके आश,
शेर राजा का तब सर चकराया 1
पेड पर चढ़ने को किया उसने प्रयास,
थककर फिर लौट गया अपने वास
अपना मोबाइल बचाकर चिम्पू मुस्काया,
लौट के बुधु फिर शहर को वापस आया
सम्पर्क : नीरज त्यागी, ६५/५ लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने गाजियाबाद-२०१००१, उत्तर प्रदेश
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