बाल कविता – सच का साथ - नीरज त्यागी,

बाल कविता – सच का साथ - नीरज त्यागी,


 


सच का साथ


 


आकाश में चमकते सितारों को सबने अपना बताया


गिरे टूट कर आकाश से, उनसे सबने दामन बचाया।।


 


सिक्को की खनक जोर से सबके कानों में ऐसे गूंजी


जो इंसान गलत था, सबने उसको ही सही बताया।।


 


जीवन मे सबने किसी ना किसी को धोखा जरूर दिया


एक मुखोटा झूठी ईमानदारी का सबके सामने फिर किया


 


माना आज अपने दोषो को झूठे चेहरे से छिपा लोगे।


एक दिन धिक्कारेगी अंतरात्मा,तब क्या जवाब दोगे।।


 


एक आईना हर इंसान के अंदर कहीं ना कहीं छिपा है।


अकेले में ही सही, उसमे सबको अपना चेहरा दिखा है।।


 


अपने दिल पर हाथ रखकर कभी सही का साथ दो


एक सकूँ की नींद आएगी,एक बार सच को हाथ दो।।


 


ये माना मैंने झूठ के प्याले में मय का नशा है


लेकिन सच के प्याले में जीने का अपना मजा है।।


 


                                                              सम्पर्क : नीरज त्यागी, ६५/५ लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने गाजियाबाद-२०१००१, उत्तर प्रदेश


                                                                                                                                                                   मो.नं. : ९५८२४८८६९८