बाल कविता – मुरली  - नीरज त्यागी

बाल कविता – मुरली  - नीरज त्यागी


 


मुरली


 


कृष्ण पूछ रहे है राधा से, बताओ मुरली कहाँ छुपाई।


कान्हा को परेशान देखकर,राधा मन ही मन मुस्काई।


 


कान्हा तुम मुझसे मिलने पल दो पल ही तो आते हो 


यहाँ   आकर भी मुरली सौतन को छोड ना पाते हो।


 


अब ना मिलेगी मुरली तुमको, अब ये मुझको ना भाई है।


इसके वादन पर सारी गोपियां, तुमको पाने को हर पल बोराई है1


 


कसम तुम्हे है कान्हा मेरी, अब ये मुरली कभी तुम ना बजाओगे


मुझसे जब भी मिलने आओ तब मुरली को मुँह ना लगाओगे।


 


सुनकर बाते राधा की कान्हा तब राधा को समझाने लगे।


प्रेम मुझे है तुमसे प्रिय, मेरी मुरली को तुमसे कोई बैर नही,


 


प्रियवर तुम्हे ही बुलाने को ही मैं धुन मुरली की बजाता हूँ


तुम्हारे देर से आने के कारण मैं खुद धुन में खो जाता हूँ।।


 


कान्हा की सब बाते सुनकर राधा जी का मन हर्षाया है


कान्हा की मुरली लौटाकर फिर उनको गले से लगाया है।।


 


                                                         सम्पर्क : नीरज त्यागी, ६५/५ लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने गाजियाबाद-२०१००१, उत्तर प्रदेश


                                                                                                                                                                  मो.नं. : ९५८२४८८६९८