अमरकांत की कहानियाँ सोद्देश्य बनाई नहीं गई हैं बल्कि ये तात्कालिकता की कहानियाँ हैं। कुछ लोग कहते हैं कि तात्कालिकता से कहानी कमजोर हो जाती है लेकिन देखने वाली बात है कि तात्कालिकता का उपयोग कैसा है। तात्कालिकता के अनुभव से एक व्यापक परिप्रेक्ष्य लेकर रची गई रचनाएं अच्छी बन सकती हैं। उपर्युक्त बातें प्रो. राजेंद्र कुमार ने बालभारती स्कूल इलाहाबाद में, अभिव्यक्ति के तत्वावधान में अमरकांत और शिवकुटी लाल वर्मा के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम के अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहीं। उन्होंने आगे जोड़ा कि नए रचनाकारों के रचनापाठ के माध्यम से अपने पहले के रचनाकारों को याद करने का यह बहुत ही सार्थक तरीका है। नए और पुराने के बीच विश्वास को बनाए रखने के लिए उनसे संवाद बनाए रखने की जरूरत है, चाहे वो जीवित हों या हमसे विदा हो चुके हों। लेखक की असली वंश परंपरा यही है और यह बात आश्वस्त करने वाली है कि अमरकांत और शिवकुटी लाल वर्मा के बाद भी एक पीढ़ी है जो रचनाकर्म में संलग्न है। शिवकुटी लाल वर्मा की कविताओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वो नई कविता के दौर के कवि हैं। उनकी कविताएं सीधे जीवन से मुलाकात करती हुई कविताएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज नागार्जुन का भी जन्मदिन है। नागार्जुन यहाँ के नहीं थे लेकिन उन्होंने इलाहाबाद में काफी समय रहकर रचनाकर्म किया।
वरिष्ठ चिंतक रामप्यारे राय ने अमरकांत और शिवकुटी लाल वर्मा को याद करते हुए कहा कि दोनों ही इलाहाबाद की जान और शान हैं। नए रचनाकारों के रचनापाठ पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि परिपक्वता की गुंजाइश सभी में बनी रहती है। आज का यथार्थ इन रचनाकारों की रचनाओं देखने को मिलता है। यह इतिहास का बहुत ही विडंबनापूर्ण तथ्य है कि मध्यवर्ग हमेशा विकास की कीमत चुकाता है।
वरिष्ठ कवि हरीशचन्द्र पाण्डे ने कहा कि यह कार्यक्रम पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी से जोड़ने का प्रयास है। उन्होंने आगे कहा कि नीलेश कि कहानी एक फैंटेसी नहीं बल्कि आसन्न खतरे को इंगित करती हुई कहानी है। अजय की कहानी में कुछ तकनीकी सुधार की गुंजाइश है। आशीष और प्रकर्ष दोनों की कविताएं तात्कालिकता की कविताएं हैं लेकिन दोनों का अपनी कविताओं में बर्ताव अलग-अलग है। प्रकर्ष सीधे बात करते हैं जबकि आशीष ने व्यंग्य की शैली अपनाई है।
प्रो. अनीता गोपेश ने कहा कि बहुत दिनों बाद बंधी बधाई बातों से अलग ताजी रचनाओं पर बातचीत हो रही है। आशीष की कविताओं का फलक व्यापकता लिए हुए हैनीलेश की कहानियाँ काफी सधी हुई हैं।
इससे पहले प्रकर्ष मालवीय और आशीष मिश्र ने अपनी कविताओं का पाठ किया और नीलेश मिश्र और अजय कौशिक ने अपनी कहानियाँ पढ़ीं।
कार्यक्रम की शुरुआत में कवि संतोष चतुर्वेदी ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन किया अभिव्यक्ति के संयोजक शिवानन्द मिश्र ने। आनन्द मालवीय, श्री प्रकाश मिश्र, अरिंदम घोष, रूपम, अवनीश यादव, चन्द्रकुमार मालवीय, विवेकानंद शर्मा, शैलेश कुमार श्रीवास्तव, कमलेश गौतम, अरविंद कुमार गौतम, नागेंद्र यादव, रामप्रकाश श्रीवास्तव, नीरज पाण्डेय, वरुणेन्द्र प्रताप सिंह, देवेंद्र सिंह नदीम सिद्दिकी, अरविंद विंदु आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।