कविता - टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें - शालिनी मोहन 

 


टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें


 


कुछ टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दीवार पर


उस बच्चे ने खींची है


रंगों का सारा इन्तज़ाम


 


उम्र भर का


वो दीवार कभी बेरंग नहीं होगी


रंगों का सारा इन्तज़ाम


 


उम्र भर का


वो दीवार कभी बेरंग नहीं होगी


न लकीरें टूटेंगी न उलझेंगी


एक पगडंडी होगी


कई सालों बाद


 


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