कविता  - प्रार्थना में कविता - राहुल कुमार बोयल 

कविता  - प्रार्थना में कविता - राहुल कुमार बोयल 


 


प्रार्थना में कविता


मुस्कुराते भी नहीं हो


और दुखों को गले भी नहीं लगाते हो


तुम मेरी कविताओं को


प्रार्थना की तरह क्यों नहीं गाते हो?


 


दर्द के मामले में कंजूसी बरतिए


बाकी मामलों में हाथ थोड़े खुल्ले रखिए


सुख अर्थशास्त्र का विषय नहीं है


और न ही दुख कोई राजनैतिक पात्र है


 


ये तुम नींद में क्या अनाप-शनाप बड़बड़ाते हो


मेरी कविताओं को


प्रार्थना की तरह क्यों नहीं गाते हो?


                                                                                                                                       राहुल कुमार बोयल  मो.नं. : ७७२६०६०२८७