कविता - मुद्राएं - कौशल किशोर 

 


मुद्राएं


 


मुद्राएं


जीवन के लक्षण हैं


आदमी के हाव-भाव


व्यक्त होते हैं।


मुद्राओं से


 


आदमी के मृत होते ही


खत्म हो जाता है जीवन


उसके साथ


खत्म हो जाती


उसकी मुद्राओं की लीला


 


यह लीला भी अजब गजब है।


जो आदमी और आदमी के बीच


फर्क पैदा कर देती है


वह जो कहना चाहता है


और जो नहीं कहना चाहता है


सब कह डालता है चेहरा


अपनी मुद्राओं से


 


कभी आदमी होता था सरल


उसका जीवन उतना ही सहज


अब नहीं रहा वैसा आदमी


जीवन भी उसका उलझा हुआ


कठिन होता गया है


आदमी को समझना


उससे भी ज्यादा दुरुह


उसके अन्तर्भाव


मुद्राओं के भी इतने रंग


कि यह जान पाना आसान नहीं कि


उसकी लीला


असली है या नकली


ओढ़ी है या बिछाई हुई


 


कलाओं में


यह भी एक कला है


इस कला में


वे कितने माहिर हैं।


या फिसड़ी


मुद्राओं की लीला


सब हाल-पता बता देती है


मैं चाहे जो कहूं


अपना दर्शन बघारू


पर आज का दर्शन यही है -


जीवन रंगमंच है


और आदमी कलाकार


उसके लिए


लीलाओं की कला में निपुणता जरूरी है


इस समय में रहने के लिए


जीने के लिएसफल होने के लिए।


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