कविता - बाढ़ में  - दफ़ैरून

 


बाढ़ में


बाढ़ में


क्या-क्या नहीं डूबा


घर डूबा


द्वार डूबा


सभी का व्यापार डूबा


प्यार डूबा


पशु डूबा


पक्षी डूबा


और डूब गया


सभी का सपना


 


ऐसे आड़े समय में


सबका एक ही सहारा


हुआ करता था भगवान


अब कोई करे तो क्या करे


बाढ़ में भगवान डूबा।


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