कविता -और मैं - दफै़रून 

 


और मैं


 


जब तुम


लजा कर मुस्कुराती हो तो


तुम्हारे होंठ


दूज का चाँद हो जाते हैं


और गाल


सुबह का सूरज


 


और मैं


दोनों संध्याओं के बीच


झूमता पेड़


 


जिसे लूमते दोनों


जिसे चूमते दोनों।


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