देवेन्द्र आर्य-जन्म : 1957, गोरखपुर। रेल सेवानिवृत्त गीतों के चार और गज़लों के पांच और नई कविता के दो संग्रह प्रकाशित कवि देवेन्द्र कुमार बंगाली पर दो और आलोचक डा. परमानन्द पर पुस्तक का सम्पादन आलोचना पुस्तक 'शब्द असीमित
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प्यार का सच
प्यार करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
किसी फूल किसी चिड़िया
किसी गदबदाए पिल्ले को देख कर
आँखों में फैल जाती है मुस्कराहट अपने
आप होंठ ही नहीं आँखें भी जताती हैं प्यार
किसी अनजान बच्चे से मिल कर
फेसबुक पर ही सही
आप उसे प्यार कर बैठते हैं
गोद में उठाते हैं
गाल से गाल सटाते हैं
पुचकारते हैं बिना उसे छुए बिना छुए
चूमे पुचकारे भी किया जा सकता है
प्यार अनबोलता
बोलते प्यार से ज्यादा प्यारा होता है
जरूरी नहीं कि सुंदरता प्यार का प्रथम आकर्षण हो
कभी कोई पीर अपनी या पराई
किसी कमी की एक गहरी टीस
किसी विराटता का भय
कोई अनजान सी आशंका
कोई निरीह सा विश्वास भी प्रेम-डगर पर ले जाता है
आश्वासन नहीं आश्वस्ति है प्यार
आप किसी को प्यार करते हैं इसलिए भी
कि वह आपको प्यार करे
अपने जन्माए लूल-लंगड़
कुक्कर बिलार से भी प्यार करती है माँ
आखिर कैसे?
आप जिसे प्यार कर रहे होते हैं।
दरअसल यह उसी की देन है
कि आपके मन में प्यार जगा
माँ क्या करेगी बच्चे को उतना प्यार
जितना लबरेज कर देता है बच्चा माँ को
प्यार की अमानत से
वह होता ही ऐसा है कि आप उसे प्यार किए बिना
रह ही नहीं सकते
प्यार एहसान है अगर
तो एहसान माँ बाप पर बच्चा करता है
आप झूठे गर्माते हैं कि मैंने इसे पाला-पोसा बड़ा किया
बड़ा तो बच्चे आपको किया
सम्पर्कः 127, आवास विकास कालोनी शाहपुर, गोरखपुर-273006, उत्तर प्रदेश