देवेन्द्र आर्य जन्म : 1957, गोरखपुर। रेल सेवानिवृत्त गीतों के चार और गज़लों के पांच और नई कविता के दो संग्रह प्रकाशित कवि देवेन्द्र कुमार बंगाली पर दो और आलोचक डा. परमानन्द पर पुस्तक का सम्पादन आलोचना पुस्तक 'शब्द असीमित
-------
हत्यारे
हत्यारे जरूरी नहीं कि हथियार हों
ही साइकिल
फूल
कोई किताब
या झण्डा भी हो सकता है हाथ में
कभी वे निहत्थे भी
हत्यारे खतरनाक लगें ही
खून के छींटे
आई पी सी की धारा पर दिखें भी
जरूरी नहीं
हत्या को आत्महत्या बनने के विलाप में शामिल
मासूमियत भी हत्यारी हो सकती है
गोलियों से छलनी लाश को
स्वर्णाक्षरों से ढंके जाने पर खामोश हम निरपराध
अपराधी नहीं तो क्या हैं?
खून के छींटे तिरंगे पर मिलें ही
ज़रूरी नहीं
प्रायोजित भी होती हैं हत्याएं
ग्लैमरस
थोड़ी आत्मिक
आध्यात्मिक
अलौकिक शांति
और लौकिक समृद्धि प्रदान करने वाली
भजन कीर्तन के बीच
प्रथाओं में सती प्रथा की तरह
खून कब पान की पीक हो जाए
और दिमाग बर्फ का गोला
कहा नहीं जा सकता
बशर्ते थाना सांसद और संविधान सहमत हों
हत्या को आत्महत्या समझने वाले देश में
भूख से कोई नहीं मरता
मजहब को मानव-बम बनाने वाले देश में
हत्याएं आसमानी फ़रमान होती हैं
स्वर्ग
मुक्ति
जेहाद
उत्सर्ग
कुरबानी
ये कुछ फ़लसफे हैं
जिनकी चमकीली रोशनी में हत्यारे
बाइज्ज़त बच के निकलते रहे हैं.
सम्पर्कः 127, आवास विकास कालोनी शाहपुर, गोरखपुर-273006, उत्तर प्रदेश