नीरज नीर-जन्म तिथि : 14 फरवरी 1973 राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक अनेक राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकशित कई भाषाओं में कविताओं का अनुवाद काव्यसंग्रह ''जंगल में पागल हाथी और ढोल'' प्रकाशित, जिसके लिए प्रथम महेंद्र स्वर्ण साहित्य सम्मान प्राप्त।
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राजा ने सपने दिखाए
राजा ने सपने दिखाए
जब हम नींद में थे
रंग-बिरंगे
हसीन, मनभावन, लुभावने सपने
अपूरित, दमित इच्छाओं ने गढ़ लिए
सहज तादात्म्य
चमकीले रैपर में सजे सपनों के साथ
और जब हम जागे
राजा ने सुनाया युद्धनाद
सीमा पर गूंजने लगी गोलियों की आवाज़
निर्वात में होने लगे
देशभक्ति के स्फुर्लिंग
और हम चले गए गहरी नींद में
राजा ने दिखाए सपने
बेटी की शिक्षा के
बेटे को रोजगार के
बिजली, पानी और सड़क के
ईमानदार सरकार के
सपने अच्छी पैदावार के
स्वास्थ्य सुविधाओं के
दूर होती बाधाओं के
स्वच्छ व्यवहार के
और जब हम जागे
राजा ने हमारी टोपी उठाई
और उसमें भर दिया भय
धर्म के क्षय का
अस्तित्व दिखने लगा संकट में
अतड़ियों का स्फुरण
जा पहुंचा भुजाओं में
धमनियों में बढ़ने लगा
खून का दाब
और हम चले गए
गहरी नींद में
राजा फिर से दिखाने लगा सपने
नए हसीन सपने
राजा चाहता है
हमारी नींद बनी रहे
सम्पर्क: ''आशीर्वाद', बुद्ध विहार, पोस्ट-अशोक नगर, राँची-834002, झारखण्ड मो.नं.: 8797777598