कविता - प्रेम का आविष्कार करती औरतें - रोहित ठाकुर

 


रोहित ठाकुर-जन्म : 6 दिसम्बर 1978 शैक्षणिक योग्यता : परा-स्नातक राजनीति विज्ञान विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित, विभिन्न कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ वृत्ति : सिविल सेवा परीक्षा हेतु शिक्षण रूचि : हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य अध्ययन


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प्रेम का आविष्कार करती औरतें


 


प्रेम का आविष्कार करती औरतों


ने ही कहा होगा


फूल को फूल और


चांद को चांद


हवा में महसूस की होगी


बेली के फूल की महक


उन औरतों ने ही


पहाड़ को कहा होगा पहाड़


नदी को कभी सूखने नहीं दिया होगा


उनकी सांसों से ही


पिघलता होगा ग्लेशियर


उन्होंने ही बहिष्कार किया होगा


ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहों का


चुना होगा इस धरती को


वे जानती होगी इसी ग्रह पर


पीले सरसों के फूल खिलते हैं।।


                   सम्पर्क: जयंती-प्रकाश बिल्डिंग, काली मंदिर रोड, संजय गांधी नगर, कंकड़बाग, पटना-800020, बिहार मो.नं.: 7549191353