नरेन्द्र पुण्डरीक- जन्म : 6 जनवरी 1954, बांदा, ग्राम-कनवारा केन किनारे बसे गांव में समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से। कविता के महत्वपूर्ण आयोजनों में भागीदारी कविता और आलोचना की अनेक पुस्तकें प्रकाशित। वर्तमान में : केदार स्मृति शोध संस्थान बांदा के सचिव, 'माटी' पत्रिका के प्रधान संपादक एवं केदारसम्मान, कृष्ण प्रताप कथा सम्मान, व डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान के संयोजक
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कुछ अंधेरे जो
छठवीं कक्षा में जब पढ़ने
शहर आया तो दीपावली को लेकर
जो कविता पढ़ी वह अभी तक याद है
जो उस समय हमें बार बार पढ़ाई जाती थी
'जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना कि
अंधेरा धरा में कही रह न जाए'',
तब से बार बार दीपावली आती रही
हम बार बार दीये जलाते रहे
पर अंधेरा वैसा का वैसा ही धरा रहा,
दिन ब दिन दीपावली के
दीयों की संख्या बढ़ती रही और
हमारे अंधेरे और घने होते गए
उनके चेहरे भर बदलते गए,
कुछ अंधेरे जो पहले अंधेरे थे
अब अंधेरे नहीं रहे
हमारे विकास के पाए बन गए।
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