कविता - घर - प्रणव प्रियदर्शी

प्रणव प्रियदर्शी - जन्म : 12-01-1984 शैक्षणिक योग्यता स्नातक (हिंदी प्रतिष्ठा) स्नातकोत्तर (पत्रकारिता एवं जनसंचार) संप्रति : 'प्रभात खबर' राँची के संपादकीय विभाग में कार्यरत। लेखकीय उपलब्धियाँ = एक कविता संग्रह 'सब तुम्हारा प्रकाशित। वर्तमान साहित्य, सनद, देशज, परिकथा, साहित्य अमृत, साहित्य परिक्रमा और कादंबिनी सहित कई पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।


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घर


1


अपने अनुकूल


घर बनाने के लिए


घर से बाहर


सह रहे होते हैं


कई प्रकार के दंश


लड़ रहे होते हैं


खुदगर्ज वक्त से


पी रहे होते हैं


बार-बार खून के घूट


जी रहे होते हैं


जडवत


जबकि वही घर


हमसे होता जा रहा है दूर


बहुत दूर।


 


2


चिड़िया लौट कर


जब घोंसले में बैठती है


उसकी खामोशी


बहुत कुछ बोलती है।


नदी तालाब में


जब ठहरती है


उसके भीतर की


नीरवता खो जाती है।


वर्षा बरसते-बरसते


अचानक


थम-सी जाती है


जैसे सूनेपन का


अभिशाप उसे सताता है।


जिस पेड़ के ऊपर


कभी फल-फूल


नहीं लगते


वह दिखावा मात्र होकर


केवल निराशा में जीता है।


दीवार


खिड़कियों और किवाड़ों में


तब्दील हो गई है


तब भी घर


बहुत सारी दीवारें हो रहा है।


3


घर में कैद है सुख


कभी चाय की चुस्की में


कभी टेलिवीजन के रिमोट में


तो कभी फीज की तंग बोतलों में


एक अपनी ही कृत्रिम दुनिया


जिसकी होती है अपनी ही रोशनी


या अपना अंधकार।


घर बहुत जरूरी


नहीं रह गया है हमारे लिए


लेकिन आराम तो जरूरी है


किसी को हम अपना कह सके


वह लोग हो या सामान जरूरी तो है


लोगों को कष्ट होता हो तो


वे सह भी लेते हैं।


लेकिन सामान...


वह तो तुरंत जवाब दे देता है।


आदमी और सामान में


बस इतना फर्क बाकी है


फिर भी घर जरूरी है


क्योंकि बाहर की सड़ांध


लगती है बुरी


और हम निठल्ले


नाक दबा कर निकलने के सिवा


कुछ कर भी नहीं सकते।


बाहर की दुनिया को


हम समझ बैठे हैं


एक लावारिस लाश की तरह


जिसे गिद्ध की तरह


नोच-नोच कर


घर में बंदी सुख की निरंतरता के लिए


इस्तेमाल करते हैं।


और महकने के लिए


हड़ियाँ वहीं छोड़ देते हैं


पर जब धीरे-धीरे


फैलेगी जरें-जरें में सड़ांध


तो कैसे बच पाएगा


हमारे घर का मखमली आराम!


                                      सम्पर्कः मकान नंबर-51, न्यू एजी कॉलोनी, करू, रांची-834002, झारखंड मो.नं.: 9905576828, 7903009545