कविता-चमकती धूप में -नरेन्द्र पुण्डरीक

नरेन्द्र पुण्डरीक-जन्म : 6 जनवरी 1954, बांदा, ग्राम-कनवारा केन किनारे बसे गांव में समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से। कविता के महत्वपूर्ण आयोजनों में भागीदारी कविता और आलोचना की अनेक पुस्तकें प्रकाशित। वर्तमान में : केदार स्मृति शोध संस्थान बांदा के सचिव, 'माटी' पत्रिका के प्रधान संपादक एवं केदारसम्मान, कृष्ण प्रताप कथा सम्मान, व डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान के संयोजक


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चमकती धूप में


 


जो विचार के साथ नहीं हैं


उन्हें चमकती धूप में


तैरती अंधेरे की परछाइयां


नहीं दिखाई देतीं,


उन्हें अंधेरे पर


कविता लिखने के लिए


शब्द नहीं मिलते,


न उन्हें अपने सर के उपर


आकाश में उड़ते


गिध्द दिखाई देते हैं,


उन्हें हर समय तोतों का


हरा रंग बहुत अच्छा लगता है


वे उनसे सीखते हैं


गोल गोल आंखें धुमाना।


                                                              सम्पर्क : डी.एम. कालोनी, सिविल लाइन, बांदा-210001 मो.नं.: 9150169568, 8948647444