देवेन्द्र आर्य- जन्म : 1957, गोरखपुर। रेल सेवानिवृत्त गीतों के चार और गज़लों के पांच और कविता के दो संग्रह प्रकाशित कवि देवेन्द्र कुमार बंगाली पर दो और आलोचक डा. परमानन्द पर पुस्तक का सम्पादन आलोचना पुस्तक 'शब्द असीमित
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चुन्ने खां बैंड मास्टर
सफेद पड़ चुके होंठों पर जीभ फेर
उंगलियां के इशारे से
पेट की सारी हवा पीतल की पाइप से गुजार कर
सरगम में बदल देता है
चुन्ने खां बैंड मास्टर
बालक चुन्ने ने सयाने चुन्ने का रोब देख
चुन्ने में देखा था अपना भविष्य
लाल झब्बेदार वर्दी
जरीदार कैप
काले रंग की गेंद से फूले गाल
काली उंगलियां नचातीं धवल-स्वर कठपुतलियां
आरती बजा द्वारचार कराता चुन्ने खां
न कोई पैदा हो सकता है
न अंतिम यात्रा पर जा सकता है
चुन्ने के बिना
बारात हो या किसी पुरनिया की अर्थी
झूमने के लिए चुन्ने का बैंड सबको चाहिए
वोट की बात और है
वोट मांगने आए धर्माचार्य को नहीं चाहिए
म्लेक्ष-मत
ताकि चन्दन-मतों को एकवट किया जा सके
कर लिया
जीत भी गए
बिना चुन्ने के वोट के जीत गए धर्माचार्य
डमडम डिगा डिगा से शुरू चुन्ने
मौसम भिगा भिगा होते न होते
शहनाई की करुण तान हो गया
विजय जलूस में सबसे आगे चुन्ने खां बैंड मास्टर
बंद दरवाजों पर दस्तक देता
अजान को नारों में डुबोता
कब्रिस्तान सी खामोशी को चीरता
खुली खिड़कियों पर भीड़ बटोरता
अबीर-गुलाल से नहाया चुन्ने खां
जलूस में सबसे आगे
धर्माचार्य से भी आगे
बिना वोट दिए भी हिन्दुस्तानी है चुन्ने खां .
सम्पर्कः 127, आवास विकास कालोनी शाहपुर, गोरखपुर-273006, उत्तर प्रदेश