दफैरून जन्म : 15 जुलाई 1959 ग्राम टीला, जिला रायसेन, मध्य प्रदेश में जन्म सही नाम : शिव कुमार श्रीवास्तव प्रकाशन : देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। प्रकाशित कृतियाँ : पेड़ अकेला नहीं कटता (कविता संग्रह) 2001 संप्रति : अध्यापन
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इन्होंने
पक्षियों ने
कभी नहीं लगाया
वसुधैव-कुटुम्बकम का नारा
फिर भी
कभी नहीं मानीं
सम्राटों की बनाई सीमाएँ
जब चाहा
पाकिस्तान गए
जब चाहा
आए भारत
जब चाहा गए
अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन
और साइबेरिया वगैरह
दोस्तो,
कितने विधि-भंजक हैं ये
कहीं भी जाने के लिए
कहीं भी आने के लिए
इन्होंने
कभी नहीं बनवाया वीजा
कभी नहीं लगाया
वसुधैव-कुटुम्बकम का नारा
एक चित्र (बरसात का )
पिता ने डाल दिए हैं
खिड़की-दरवाज़ों पर ऊदे पर्दे
चाँद पर तारी हैं पाबंदियाँ
बाहर झाँकने पर
बाहर देखने पर
धाराधार बह रहे हैं आँसू
लगातार चमक रही हैं
बेचैनियों की बिजलियाँ
पूरे घर में गूंज रही है
पिता के गरज ने की आवाज़
हताशा के विरुद्ध
वे कुछ दूर चले
और थक गए।
और उन्होंने घोषणा की
कि ये सफ़र असंभव है
कि नहीं किया जा सकता
इसे कभी पूर्ण
यह वो समय था
जब वे घोषणा कर वापस लौट रहे थे
एक चींटी सौवीं बार गिर कर
फिर से दीवार पर चढ़ रही थी
और हवाओं में गूंज रही थी
हरिवंशराय बच्चन की कविता
*''‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती''
संगति
यदि
संगति ठीक-ठीक बैठे
तो वर्ण-वर्ण मिल कर
बन सकता है शब्द
यदि
संगति ठीक-ठीक बैठे
तो शब्द-शब्द मिल कर
बन सकता है वाक्य
यदि
संगति ठीक-ठीक बैठे
तो वाक्य - वाक्य मिल कर
हमारी समग्र चेतना को झकझोरती
बन सकती है एक संपूर्ण पुस्तक
रात में
रात में
अधिक प्रकाश से
चूँधिया जाती हैं आँखें
टकराती हैं।
बाइकों से बाइकें
मारे जाते हैं खरगोश
मारे जाते हैं हिरण
रात में
अधिक प्रकाश से
होती हैं और भी
अनेक दुर्घटनाएँ
रात में
अधिक प्रकाश से
दुर्घटनाओं की खुब पटती है।
सम्पर्क : साँवरिया सेठ कालोनी, एयरटेल टॉवर के पास, टीलाखेड़ी रोड विदिशा, मध्य प्रदेश, मो.नं. : 9685275332