'लघु कथाएं - खद्दर की लाज, और वह बंट गया - मार्टिन जॉन

मार्टिन जॉन,  शताधिक कविताएँ, लघु कथाएँ, पत्र-पत्रिकाओं, वेब मैगजीन, ब्लॉग, फेसबुक समूहों में प्रकाशित। संकलनों में संकलित। आकाशवाणी से प्रसारित। प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। रेखाचित्र, कविता, पोस्टर बनाने में विशेष रुचि। दर्जनों कविता पोस्टर प्रदर्शित। पत्रिकाओं में रेखाचित्र प्रकाशित। लघुकथा संग्रह ‘सब खैरियत है' और कविता-संग्रह 'ग्राउंड जीरो से लाइव' प्रकाशित।


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 खद्दर की लाज


वे तीनों खद्दरधारी थे।


अलग-अलग क्षेत्रों के तीनों नेता रोज की तरह आज भी इकट्टे बैठे हुए थे और अपनी नेतागिरी की दुकान मंदा पड़ जाने की वजह से बेहद फिक्रमंद थे। चारो ओर की शांति और स्थिरता उन्हें बेचैन किए हुए थी। खद्दर की लाज जाती हुई लग रही थी। कुछ करने की तरकीबों का आदान-प्रदान देर रात तक शराब के दौर के साथ चलता रहा। अंत में एक प्लान' पर एकमत होकर उसकी कामयाबी के नाम आखिरी पेग उन्होंने गले में उड़ेला और.....


       दूसरे दिन इलाके के एक सब-इन्स्पेक्टर ने सीमेंट की घपलेबाजी के आरोप में एक ईमानदार जूनियर इंजीनियर को गिरफ्तार कर लिया। इंजीनियर की गिरफ्तारी की खबर उस महकमे के नेता ने पूरे राज्य के इंजीनियरों के बीच आग की तरह फैला दी। देखते-ही-देखते प्रदेश के तमाम इंजीनियर  सामूहिक हड़ताल पर चले गए। उस नेता की अगुवाई में जुलूस निकाले गए। पुलिस मुख्यालय                                                                        के समीप धरना दी गई। सभाएं हुईं। नारेबाजी ‘सब-इंस्पेक्टर को निलंबित करो।'


      पुरजोर विरोध के आगे संबंधित महकमा को झुकना पड़ा। आनन-फानन में सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया।


      निलंबन का आदेश पारित होते ही एक दुसरी समस्या आ खड़ी हुई। निलंबन के खिलाफ़ उस क्षेत्र के नेता के आह्वान पर प्रदेश की पुलिस ने भी सामूहिक हड़ताल कर दी। पुलिसवालों की हड़ताल से असामाजिक तत्वों की बन आई। दिनदहाड़े चोरी, डकैती, राहजनी होने लगी। इसी बीच इलाके के थाने की नाक के नीचे एक कॉलेज छात्रा की क्षत-विक्षत लाश मिली। उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस दर्दनाक हादसे की खबर फैलते ही इलाके का माहौल तनावपूर्ण हो गया। स्थिति तब और भी विस्फोटक हो गई जब छात्र-छात्राएं स्कूल, कॉलेज छोड़कर सड़क पर उतर आएं। अपने नेता की अगुवाई में मांग करने लगे, ‘दुष्कर्मियों को गिरफ्तार करो!'


      प्रदेश सरकार अजीब सांसत में पड़ गई। अन्ततोगत्वा बेकाबू होते हालात के मद्दे-नज़र सब-इंस्पेक्टर का निलंबन आदेश वापस ले लिया गया। पुलिसवाले अपने-अपने काम पर लौट आए। दुष्कर्मियों को ढूंढ निकालने के लिए पूरा महकमा एड़ी-चोटी का जोर लगाने में लग गया।


      इस बीच तीनों नेता प्रदेश स्तर के तमाम अखबारों की सुर्खियों में रहें। कई तस्वीरें छपीं। चैनलों और अखबारों में बयान आए। चौक-चौराहों में उनके संघर्ष और जुझारूपन की खूब चर्चाएं हुई।


      तीनों ने महसूस किया, खद्दर की लाज जाते-जाते बच गई। प्रदेश का ताजा माहौल उन्हें खद्दर पहनने-ओढ़ने की सार्थकता दे गया।


और वह बंट गया


गांव में मंदिर निर्माण की योजना को कार्यरूप देने की बात जब चली तो सबसे पहले राजमिस्त्री महमूद मियां को याद किया गया। गांव वालों का मानना था कि महमूद मियां का हाथ नहीं वरन जादू की छड़ी है। जिस चीज को छू दे वह खूबसूरत शक्ल में तब्दील हो जाए। बस, छूने भर की  देर है। समीपवर्ती शहर के कई खूबसूरत और चित्ताकर्षक इमारतें और मकानात उसी के दिमाग की उपज है।


      शुभ मुहूर्त में चयनित स्थल की ‘भमिपजन' के बाद उसके सशरीर परिश्रम, अगुवाई में दर्जनों मजदूरों और मिस्त्रियों की मौजूदगी में मंदिर की आधारशिला । रखी गई।


     एक निश्चित समय में मंदिर बनकर तैयार हो गया। मंदिर के बाह्य और आंतरिक साज- सज्जा ही नहीं, देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का रखाव भी उसी के निर्देशन में हुई। मंदिर की खूबसूरती के लिए महमूद मियां की चतुर्दिक प्रशंसा हुई। जिसने भी देखा उसने उसकी कारीगिरी का लोहा मान लिया।


नवनिर्मित मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना आरम्भ करने के पहले शास्त्रीय विधान के अनुसार उसकी प्राणप्रतिष्ठा जरूरी थी। सो, तयशुदा तारीख को पंडितों की देखरेख में प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य आरम्भ हुआ। यद्दपि उस दिन वहां महमुद मियां की उपस्थिति जरूरी नहीं थी, फिर भी मातु-सदृष्य वात्सल्यपूर्ण भावना लिए अपनी 'रचना' को जी भर कर निहारने की मंशा लिए वह मंदिर के भीतर दाखिल होगया। रंग-रोगन, साज-सज्जा में संभावित खामियों की तलाश में वह इस कदर मशगूल हो गया कि पता ही नहीं चला कि उसे कोई बुरी तरह घूर रहा है। जब तन्द्रा भंग हुई तो उसने पाया कि मंदिर का नव नियुक्त पुजारी अपनी तीखी और हिकारत वाली नज़रों से उसके शरीर पर बर्छियां चला रहा है।


      तीखी दृष्टि जब असहनीय हो गई तो उसने खुद को मंदिर से बाहर कर लिया और इस तल्ख एहसास ने उसके चहकते क़दमों को बुरी तरह भारी कर दिया कि अब वह बंट गया है।


                                                                                                  सम्पर्क : अपर बेनियासोल, पो.आद्रा, जि. पुरुलिया-723121,


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