कविता - सदी का आदमी ( एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का आखिरी आत्मकथा) - डॉ. भगवान स्वरूप कटियार

जाने-माने कवि और चिंतक हैं। उनके पाँच कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। अपनेअपने उपनवेश नाम से उनका ताजा कविता संग्रह बोधि प्रकाशन से आया है। विचारपरक रचनात्मक काम भी उन्होंने किया है। गद्य की भी कई महत्वपूर्ण किताबें उनके नाम हैं। सम्पर्क : ९४१५५६८८३६


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 मैं


गुजरे समय का गवाह


और वर्तमान का


वह पल हूँ


जिसने देखे हैं


दुनिया के तमाम उलट-फेर


और बहुत कुछ


वांछनीय


अवांछनीय


मेरे चेहरे की


झुर्रियों


लिखी वक्त की इबारत ही


मेरी कहानी है


बहुत होते हैं सौ बरस


कुछकर गुजरने के लिए


और एक युग का


इतिहास रचने के लिए


पूरी सदी


एक पल जैसी लगती है


मैं सिर्फ हड़ियाँ


और त्वचा ही नहीं हूँ


जो समय की परतों में


गुम हो जाए


और न ही फकत खून


जो मिट्टी में मिल जाए


खौफ़नाक अँधेरों की


दीवार को


तोड़ने की


कोशिश में जिए


वे पल ही


मेरी अमानत हैं


जिन्हें अपनी याद के रूप में


सौंपता हूँ तुम्हें


और उन्हीं लम्हों की


याद लिए


जीवन के अन्तिम क्षणों में


चिर अनन्त अचेतन में


समा जाना चाहता हूँ


ताकि जी सकें


समय और समाज की


स्मृतियों में


बिल्कुल अपनों की तरह