कजाखस्तान : सौन्दर्य एवं कला का देश

 चेयरमैन, ललित कला विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा, विभिन्न पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित। देश-विदेश में अनेक प्रदर्शिनियां एवं व्याख्यान।


कजाखस्तान पूर्व में सोवियत संघ के अन्तर्गत क्षेत्र था। सन् १९९१ में जव सोवियत संघ का विभाजन हुआ तो यह देश अपने अस्तित्व में आया। कजाखिस्तान, रूस, चीन, किर्गिस्तान, उज्वेकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान से अपनी सीमाएँ जोड़ता है। यहाँ की भौगोलिक पृष्ठभूमि में समतल जमीन, अवतल धरातल, टैगा चट्टानी पठार, पहाड़ी डेल तथा पर्वत, महासागर आदि बहुतायत मिलते हैं। यहाँ की आबादी में अधिकतर मुसलमान (लगभग ६६ प्रतिशत, १२ प्रतिशत अन्य हैं) तथा रूसी २० प्रतिशत के आस-पास हैं। इस देश की राजधानी अस्ताना है जो अत्याधुनिक शहर के रूप में विकसित हो रहा है। अस्ताना सन् १९९७ में राजधानी बना जबकि इसके पूर्व अलमाटी इस देश की राजधानी थी।



कजाखस्तान के मूल निवासी कजाख हैं जो तुर्की एवं मंगोलिया के समन्वय रूप में दिखाई देते हैं। परन्तु जब रूसी साम्राज्य ने १८वीं सदी में कई क्षेत्रों को अपने अधीन किया तबसे यहाँ पर रूसी सभ्यता का प्रभाव पड़ा तथा इसका विकास भी रूस के अन्य शहरों की भाँति हुआ। रूस का प्रभाव न सिर्फ शहरों के निर्माण में पड़ा अपितु रहन-सहन एवं चारित्रिक विकास में रूसियों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। यहाँ की सरकारी भाषा अभी भी रूसी है। यद्यपि अब कजाख भाषा का प्रभाव बढ़ा है। कजाख मूलतः कजाख व रूसी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार रखते हैं।


कजाखस्तान का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा दूसरे स्थान पर ईसाई (रूसी) है परन्तु यहाँ पर धर्म अपनाने की पर्ण स्वतंत्रता है। यहाँ पर अल्प मात्रा में बौद्ध भी पाए जाते हैं।


यह देश यूरोप एवं एशिया को जोड़ता है। यूराल नदी विभाजक नदी है जो इस देश की यूरोप एवं एशिया से विभाजित करती है। सबसे विशेष है यहाँ । का वातावरण, सुरम्य पठार, नदी, कैनयन पर्वतों की श्रृंखला जो हिमाच्छादित रहती हैं। यह एक ठण्डा देश है, अधिकतर महीनों में बर्फ पड़ती है। नवम्बर से अप्रैल तक बर्फ पड़ती है। ठण्ड का प्रभाव वैसे तो वर्ष पर्यन्त रहता है परन्तु मई से सितम्बर तक मौसम सुहाना हो जाता है। इसी कारण यहाँ के लोग शुभ्र व सुन्दर दिखाई देते हैं। प्रायः सभी के रंग गोरे हैं। यहाँ के वातावरण का प्रभाव मानव जीवन पर स्पष्ट दिखाई देता है।



कजाखस्तान विश्व का नौवां बड़ा देश है। यहाँ के प्रमुख शहर अलमाटी, अस्ताना, करामैण्डी, शियकेन्ट, अतीराइ, ओस्केमेन, यूराल्स्क व पवलोदार हैं। लेखक अलमाटी, अस्ताना, यूरान्स्क व पवलोदार का भ्रमण कर चुका है। कजाखस्तान का सबसे प्रमुख भौगोलिक आकर्षण चेरिन नदी के कैन्थन है जो जल व वायु के क्षरण से बने हैं। ये कैन्यन एक विहंगम दृश्य बनाते हैं। कलाकारों का एक प्रिय विषय है, चेरिन के कैल्यन। मुझे भी यहां जाने का सौभाग्य मिला। अलमाटी से लगभग २०० कि.मी. की दूरी पर चेरिना नदी है और इस नदी के आस-पास ही यह कैल्थन बने हैं। अलमाटी से जाते समय जो मैदानी क्षेत्र आता है वह बहत ही मनोहारी है। बर्फ से लदे पर्वत दूर तक इन मैदानों का साथ देते हैं। ये दृश्य इतने मनोरम हैं कि कलाकार को वहां जाने नही देते।


इन मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में कलाकार असंख्य चित्र निरूपित कर सकते हैं। स्थानीय कलाकार निसर्ग चित्रण के लिए सदैव इन क्षेत्रों में जाते रहते हैं।


दृश्य-चित्रण करना कजाखस्तान के चित्रकारों का सबसे प्रमुख विषयवस्तु है। प्रायः सभी कलाकार दृश्य चित्रण अवश्य करते हैं। चित्र विषयों में शबीह चित्रण, दृश्य चित्रण, स्टिल लाइफ तथा संयोजन (आधुनिक) प्रमुख है। रूसी आधुनिक कलाकारों का प्रभाव स्पष्ट रूप से कजाखस्तान के कलाकारों पर दिखाई देता है। अलमाटी एक आधुनिक शहर है जो पर्वतों के नीचे बसा हुआ है। कजाखस्तान का यह सबसे खूबसूरत शहर है। सघन वृक्ष इस शहर को अत्यन्त मनोहारी बना देते हैं। काक, टोबे एक अविस्मरणीय पर्यटक केन्द्र है। यहाँ पर रज्जुमार्ग से जाया जा सकता है। यह केन्द्र एक पर्वतीय चोटी है जहाँ पर मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। एक छोटा चिडियाघर भी है। भारत के अनेक पक्षी देखने को मिलते हैं। अला-माटी सेब को कहा जाता है। यह शहर सेव उत्पादन का प्रमुख केन्द्र है। विश्व के सबसे स्वादिष्ट व उत्तम सेव कजाखस्तान में होते हैं। अलमाटी विश्व की ठण्डी राजधानी के रूप में जानी जाती थी। अलमाटी में अनेक संग्रहालय तथा आधुनिक कला दीर्घाएं हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय में कजाख संस्कृति के अवशेष संग्रहीत है तथा आधुनिक कला संग्रहालय में कजाखस्तान के प्रमुख आधुनिक कलाकारों की कृतियां संग्रहीत हैं।



यहां पर कला शिक्षा का प्रयोग बाल-काल से भी आरम्भ कर दिया जाता है। ‘चिल्ड्रेन आर्ट स्कूल प्रायः प्रत्येक नगर में स्थापित किए गए हैं। अलमाटी में इस प्रकार के कई आर्ट स्कूल है जो शिशु काल से लेकर प्रायः १५ वर्ष के छात्र-छात्राओं को विधिवत का शिक्षा प्रदान करते हैं। लेखक को भी एक कला विद्यालय में भाषण व कला-प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया था। इन कला विद्यालयों में कला के विभिन्न माध्यमों की शिक्षा दी जाती है यथा, चित्रकला, मूर्तिकला, हैपरी डिजाइन, पेपर क्राफ्ट, पेपर मैशी, ग्राफिक आदि विभिन्न कला के अवयव सिखाए जाते हैं। विद्यार्थी जहाँ भी जिस भी माध्यम से अध्ययन करना चाहे, जा सकता है। विद्यालयी स्तर पर कला की यह शिक्षा वस्तुतः अत्यन्त उच्च श्रेणी की है। कला विद्यालयों में २० से ३० के बीच में अध्यापक होते हैं। इन विद्यालय से विद्यार्थी निकल कर उच्च शिक्षण संस्थानों में उच्च अध्ययन के लिए जाते हैं। अलमाटी में कई आर्ट कॉलेज व विश्वविद्यालय हैं। जहाँ पर कला की उच्च शिक्षा दी जाती है।



एक अन्य शहर पवलोदार है। अलमाटी की तुलना में यह एक छोटा शहर है। यहाँ पर पवलोदार स्टेट म्यूजियम है जहाँ पर रूस व कजाखस्तान के लगभग प्रत्येक कलाकार के पुराने व नवीन कार्य संग्रहीत हैं। इसी संग्रहालय ने लेखक की प्रदर्शनी का आयोजन किया था। संग्रहालय के स्टोर को देखने का अवसर मिला तथा रूस के अनेक मूर्धन्य कलाकारों की कलाकृतियाँ सुरक्षित रूप में संरक्षित की गई हैं। यह संग्रहालय इस क्षेत्र का सबसे बड़ा संग्रहालय है। लेखक की एक कलाकृति भी इस संग्रहालय में संग्रहीत है। पवलोदार शहर कजाखस्तान के उत्तर क्षेत्र में है। यह क्षेत्र रूस की सीमा कहा जाता है। यहाँ बर्फ बहुत अधिक पड़ती है। कम-से-कम आठनौ महीने बर्फ यहाँ बनी रहती है। यहाँ के लोग ठण्ड से घृणा करते हैं तथा अधिकतर लोग गर्म क्षेत्रों व देशों की ओर घूमने के लिए निकल जाते हैं। भयंकर ठण्ड में -३० डिग्री या -४० डिग्री तक तापमान चला जाता है। कलाकार प्रायः बर्फ से युक्त घरों का दृश्य चित्रण बहुत मनोहारी रूप में करते हैं। यहाँ के कलाकारों की विशेषता यह है कि चित्र अत्यन्त मधुर व लाइट कलर्स में बनते हैं। स्वभावत: बर्फ का रंग सफेद ही होता है अतः चित्रों में सफेद रंग का बाहुल्य होता है। संयोजनों में प्रायः कजाख नोमैड (मूल निवासी) का ही चित्रण बहुतायत में होता है। क्षीणकाय, कमनीय औरतें, प्रायः राष्ट्रीय वेशभूषा में बनाई जाती है। पवलोदार के प्रमुख कलाकारों में स्वेतलाना क्रावचेको, विक्टर पोलि कारपोव, शोरा, अब्दुल गानीव शाकुर, अलेक्जेन्द्रोव निकोलई गायेव निकोलाई गोवोरोवा टैटियाना, गुरुयेव अलवर्ट गलीम वायेवा, आइसा, ओल्गा, दुगुसुपोवा, रखीमोव खयादर लुबोव प्लोखोलाया, वैसिली पोलयाकेव, पेत्र पोपोव, जोया सुवोलेवा, मारिया, बोरिस चेखलिन, आदि अनेक कलाकार हैं जिन्होंने पवलोदार क्षेत्र के सुरम्य दृश्यों को चित्रित किया है।


इरतिस नदी इस क्षेत्र की एक विशाल नदी है जो सर्दियों में आधी बर्फ से जम जाती है तथा आधी नदी में पानी नहीं जमता। कलाकारों के लिए यह एक प्रिय विषय है। बर्फ से आच्छादित वृक्ष हृदय को स्पर्श करते हैं। केवल सफेद तथा भूरे रंग से सम्पूर्ण चित्र का निर्माण हो जाता है। फिर भी कलाकार चित्रों में अभिनव प्रयोग करते हैं। लाल व पीला रंग लगाकर उनका लालित्य प्रदर्शित किया जाता है। पाइन के पेड़ भी कलाकारों के प्रिय विषय हैं। यूरोपीय व रूसी शैली में गिरजाघर, खुले आसमान, वादलों का विहंगम रूप सभी दृश्य कलाकारों की लालायित करते हैं। प्रकृति का जो अपार स्नेह इस धरा को मिला है, वह सव अद्भुत है और कलाकार लोग इसी धरोहर को चित्रण करने में अनवरत लगे रहते हैं। स्वेतलाना क्रावचेन्को एक ऐसी कलाकार जो मात्र जलरंगों से चित्रण करती हैं। उनके प्रिय विषय पुष्प है। वे दृश्य चित्रों की भी रचना करती हैं। स्वेतलाना इन्टरनेशनल वाटर कालर सोसाइटी की कजाखस्तान की अध्यक्ष हैं। इनकी अनेक कला प्रदर्शनी भारत, पाकिस्तान, हांगकांग, अल्वानियां तथा कजाखस्तान में लगाई जा चुकी हैं। किन्हीं-किन्हीं कलाकारों पर आज भी रूसी प्रभाव दिखाई देता है। यद्यपि कजाख कलाकार अपनी संस्कृति को उकेरने में अनवरत लगे हैं परन्तु उनकी रंगाकन पद्धति आज भी रूसी प्रभाव लिए हैं। सम्भवतः उनकी शिक्षण पद्धति आज भी रूसी मूल की है। इसीलिए कहीं-कहीं कजाख और रूसी चित्रों में विच्छेद करना कठिन हो जाता है। विशेषकर दृश्यचित्रों के निर्माण में। वरिष्ठ कलाकार तैलरंग तथा अक्रेलिक रंगों में चित्रण करते हैं तथा आज का कलाकार रंग चयन में रूढिवादी नहीं है।



व्यक्ति चित्रण के निर्माण में शारीरिक बनावट तथा रंग विशिष्ट आभा लिए होते हैं। विशेषकर नारियों के अंकन में यह दक्षता परिलक्षित होती हैं। ‘स्किन का ट्रीटमेंट' कुछ ऐसा है कि यूरोपीय व रूसी महान कलाकारों की याद दिलाता है। परन्तु आज का कलाकारवह महान् वैशिष्ठय खोता जा रहा है। प्रयोगवादी युग का प्रभाव कहें या दक्षता की कमी परन्तु मात्र कुछ कलाकारही इस विशेषता का निर्वहन करते दिखते हैं।


पवलोदार के दो विश्वविद्यालयों में लेखक का जाना हुआ। यहाँ पवलोदार स्टेट यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्चर के साथ ललित कला की दीक्षा दी जाती है। मूल रूप से बी.एफ.ए.ही इस विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है। विद्यार्थी अधिकांशतः स्थिर-चित्रण व दृश्य-चित्रण ही करते हैं। इसी प्रकार पवलोदार पेडागाजिकल स्टेट इंस्टीटयूट में भी बी.एफ.ए है परन्तु यहाँ के विद्यार्थी प्रयोगधर्मी तथा संयोजन चित्रों की रचना कर विशेष ध्यान देते हैं। इस विश्वविद्यालय में लेखक का भाषण व डिमांस्ट्रेशन हुआ है। कजाखस्तान में स्कूली शिक्षा (कला के विशेष सन्दर्भ में) लगभग एक समान है। यहाँ के चिल्ड्रेन आर्ट स्कूल में लेखक ने भाषण तथा डिमांस्टेशन दिया।


यदि निष्पक्ष रूप से कहा जाए तो स्कूली शिक्षा अधिक प्रभावी दिखाई देती है। विद्यार्थियों के कला के अनेक अवसर दिखाई देते हैं। जहाँ तक कला बाजार की बात की जाए तो भारत से ज्यादा अच्छा बाजार कजाखस्तान में नहीं है। चित्रों का मूल्य भी भारत की तुलना में कम ही है। नव धनाढ्य कजाख कला पर कम खर्च करते हैं तथा भौतिक संसाधनों में अधिक। भारत में भी ऐसा ही हो रहा है।


अस्ताना एक आधुनिक तथा नया शहरा है। यहाँ की नगर व्यवस्था तथा सौन्दर्य देखते ही बनता है। अधुनातन गगनचुम्बी ‘स्काई रेजर' पूर्ण रूप से यूरोपीय तथा पाश्चात्य शैली से युक्त है। कजाखस्तान का सबसे खूबसूरत (तकनीकी दृष्टि से) शहर कहा जाए तो अस्ताना है। यद्यपि अलमाटी का प्राकृतिक सौन्दर्य अस्ताना से कहीं उच्च श्रेणी का है, परन्तु आधुनिकता में अस्तना कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है। यहाँ पर विश्व के अनेक अन्तरराष्ट्रीय आयोजन हो चुके हैं। अभी भी अस्ताना एक्सपो चल रहा है। इसी क्रम में आर्ट एक्सपो का भी आयोजन किया गया। विश्व के अनेक देशों के कलाकारों की प्रयोगधर्मी कलाकृतियों की प्रदर्शनी चल रही है। इस प्रदर्शनी में परम्परागत कला का अभाव तथा विश्व की कला का प्रदर्शन अधिक दिखाई पड़ता है। यहाँ पर संग्रहालय कला स्कूल विश्वविद्यालय कला के अनेक संस्थान में विद्यमान हैं। स्वभावतः राजधानी होने के कारण यहाँ कलाकार बहुत है तथा कलात्मक गतिविधियाँ भी अधिक मात्रा में होती है। यह शहर अपने सौन्दर्यात्मक बोध के लिए जाना जाता है। यहाँ का मौसम भी सर्द है। अधिकतर ठण्ड व बर्फ का ही साम्राज्य रहता है। यहाँ के कलाकार प्रयोगधर्मी तथा अनेक देशों के कला आयोजन । में भाग लेते हैं। अवसरों की विपुल सम्भावनाएं यहां के कलाकारों को मिलती हैं।



एक अत्यंत रमणीय क्षेत्र पश्चिम कजाखस्तान है। रूस की सीमा से लगा यह क्षेत्र ओराल के नाम से जाना जाता है। ओराल एक नदी है तथा इसी नाम से एक शहर का नाम ‘उराल्स्फ' पड़ा। उराल्सफ कजाखस्तान का सबसे ठण्डा क्षेत्र है। रूस के समारा शहर से करीब होने के कारण यहाँ पर रूस का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। महान् साहित्यकर पुश्किन इसी शहर में जन्मे थे। सौभाग्य से वेस्ट स्टेट कजाखस्तान यूनिवर्सिटी ने लेखक को १५ दिवसों के अध्यापन के लिए आमंत्रित किया। यह लेखक की दूसरी कजाखस्तान यात्रा है। यहाँ के विश्वविद्यालय में ललित कला में चित्रकला, मूर्तिकला, पॉटरी, बुलेन डिजाइन, फैशन डिजाइन तथा ज्वेलरी डिजाइन आदि कोर्स कराए जाते हैं। यह क्षेत्र अत्यन्त सुरम्य है। इस शहर में दो नदियाँ मिलती हैं। अधिकांश महीनों में बर्फ का आधिपत्य होता है। नदियाँ नाले, मकान, दूकान सम्पूर्ण क्षेत्र वर्फिस्तान होता है। देखने को विक्षुब्ध करने वाले दृश्य कलाकारों को चित्र बनाने के लिए वरवस आकर्षित करते हैं।


लेखक ने यहाँ बैठकर बर्फयुक्त चित्रों की रचना की। भारत से जाकर उराल्स्क के सर्द वातावरण में रहना आनन्दित तो करता है, पर अत्यन्त सर्दी होने के कारण कठिनाई भी आती है। घर के बाहर निकलते ही हड्डियाँ जमाने वाली सर्दी झकझोर कर रख देती है। परन्तु यदि आपने तैयारी के साथ जीना सीख लिया तो आनन्द द्विगुणित हो जाता है। यह क्षेत्र कलाकारों के लिए स्वर्ग है। जिस ओर मुंह करके चित्र बनाने लगें अनेक अद्भुत चित्रों की रचना हो जाती है। लेखक के लिए यह अत्यन्त आनन्ददायी क्षण थे। यहाँ के कलाकारों ने आर्टिस्ट ऑफ वेस्ट कजाखस्तान नाम का संगठन बनाया है। सौभाग्य से इस संगठन के अध्यक्ष ने लेखक को भी इस संगठन का आजीवन सदस्य मनोनीत किया है। यह संगठन कला के विकास के लिए इस क्षेत्र के कलाकारों को मंच प्रदान करता है। नियमित रूप से यहाँ प्रकाशन तथा प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता। है। यहाँ पर लगभग ५० उच्च स्तर के कलाकार हैं। इस संगठन के अध्यक्ष बस्तीकोझा इज्मुताम वेतोव है। उराल्स्क के प्रमुख कलाकारों में बैतरसिन उमिबैकाव अक्दावलेतोव तोगझाव समीलली. अलाविन सर्गेई सेमोनोविच, बीसेमवीयुली अमानझोल, सुईन वाइटेगी, गुवाशेव असीतबेक अहनेतुली, गुमारोव सकेन नझीगेटदिभूली, जमीला कनीवायेवा, हृब्दोलायेव गलित हब्दोलाउली, तस्कालीमेव असीम गन्थूली सिनेलिक अलेक्जेण्डर सेमतीगोव अयेवर गलीमुली, यूटेमिसोव सलामत यूरेमिसली ओतारोव मेल्स तास्कालिडली, ओसट्रिकोव विल्टर सर्गेयाविच, मदिर कौन्डिक नसीहातुली, कोटेलिकोव विक्टर एडोल्फोविच, इमाशेव अरमान बोकेनवाथुली, आदि अनेकों कलाकार हैं जिन्होंने कजाखस्तान के जनजीवन, दृश्यचित्रों, व्यक्तिचित्रों, मूर्तियों व वुलेन चित्रों की रचनाएं की है तथा अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लिया है।



कजाखस्तान एक प्रगतिशील देश है। देश की अर्थव्यवस्था का विकास हो रहा है। मुस्लिम राष्ट्र होने के कारण भी यहाँ के लोग अत्यन्त उदार, अतिथियों का सत्कार करने वाले लोग हैं। यह देश अत्यन्त खुला देश है। महिलाएं बुर्का नहीं पहनती बल्कि अधिकतर महिलाएं रूसी महिलाओं की भाँति फैशनपरस्त हैं। खुलापन प्रत्येक नागरिक की संस्कृति में है। अधिकतर महिलाएं पाश्चात्य खुले परिधान पहनती हैं। पुरुषों में भी मुस्लिम वेशभूषा नहीं है। सभी नागरिक आधुनिक यूरोपीय व रूसी संस्कृति वाले हैं। औरतों को देखकर बिल्कुल नहीं लगता की यह मुस्लिम देश है। प्रत्येक शहर में एक या दो से अधिक मस्जिद नहीं हैं। कानून-व्यवस्था उच्च श्रेणी की है। कोई सड़क के नियमों की अवहेलना नहीं करता। कजाखस्तान एक सभ्य व सुसंस्कृत व आधुनिक देश है।



कजाखस्तान में भारत की तरह जनसंख्या नहीं है। बर्फ अधिक होने के कारण सरकारी व्यवस्थाएं गांवों तक पहुचाई जाती हैं। प्रत्येक कमरे में गैस द्वारा गर्माहट प्रदान की जाती है। गर्म व साधारण पानी सरर द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। सड़क के किनारों पर दुकानें नहीं होती। न ही कही भी अव्यवस्था दिखाई देती है। कम आय होने पर भी नागरिकों का जीवन स्तर उच्च स्तर का है। भवनों में सौन्दर्य बोध के लिए डिजायन तथा मूर्तियों से सजाए जाते हैं। शहर खुले व आधुनिक है। गावों के घरों को शहर के घरों के बराबर सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। केवल कजाख नौमैड ही मूर्त' में जीवन यापन करते हैं, जो एक जगह से जाकर दूसरे जगह में निवास करते हैं। राष्ट्रीय प्रतीकों में ‘मूर्त' का विशेष स्थान है।


आशा है यह देश भविष्य में नए कीर्तिमान सथापित करेगा।