कविता - उदासियां - राजीव डोगरा
उदासियां
कभी-कभी उदासियां
बहने लगती है इन अश्कों में।
जो बातें कही नहीं जाती
वे बह जाती है
अक्सर इन अश्कों में।
मत पूछा करो
इन खामोशियों की वजह
इन तनहा रस्तों से।
बहुत कुछ खोया है
बहुत कुछ पाया है
अक्सर इन गुमनाम रास्तों से।
मत पूछिए
वफ़ा की बातें हम से।
बहुत दिल लगाया है
और बहुतो से
दिल से निभाया है,
मगर फिर भी अक्सर
दर्द ही मिला है
हमें अक्सर सस्ते में।
राजीव डोगरा
राजीव डोगरा - कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक) (भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल,ठाकुरद्वारा। - 176029
Rajivdogra1@gmail.com
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