कविता - अभी बस अभी… चन्द्र
कविता - अभी बस अभीचन्द्र

अभी थोड़ी देर पहले इस जिले में आतंकवादी हमला हुआ
भीड़ में कुचली गई अभी एक मज़दूर की ज़िंदगी


अभी थोड़ी देर पहले देश और नागरिकता को लेकर जोरदार धरती और आसमानी धमाका हुआ
अभी थोड़ी देर पहले 19 लाख लोग से अधिक एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिए गए


एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए लोग कहने लगे कि नागरिकता क्यों नहीं मिली
और क्यों न मिलेगी हमें?


नागरिकता नहीं मिलेगी तो लड़ेंगे
चाहे कटेंगे या मरेंगे


इस आवाज पर एक सरकारी हरामजादे ने
कहा कि-  तुम लोग बांग्लादेशी हो
तुम सब एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिए गए
केवल फुटपाती हो


तुम सब का नाम इस राज्य के नक्शे से बाहर कर दिया गया है
तुम सबका यह राज्य नहीं
यह देश नहीं..


फिर उसने कहा कि-
लड़ो! लड़ो! कटो !कटो! मरो! मरो..
जैसे चाहिए वैसे नागरिकता साबित करो..'


कि अभी बस अभी एक बच्चे ने भात-भात रटते हुए दम तोड़ दिया
पुलिस के सामने अभी एक पुलिस ने मेरी अनपढ़ माँ को कुत्ते जैसे दुत्तकारा


अभी बस अभी एक किसान की पगड़ी उछाली गई दूर खेतों में
मैंने आँखों से देखा अभी कि
चलती हुई ट्रेन से एक टीटी ने
बिना टिकट के जाते हुए चाय बागान के मज़दूर को फेंक दिया


अभी बस अभी एक कट्टर हिंदू-पशु ने
देश के तिरंगे पर गू-मूत कर चला गया


लहराते हुए गन्ने के खेतों के बीच शौच करने जाती हुई मेरी बहन को अभी कुछ दरिंदों ने
धर-दबोच कर मारा और ज़मीन में गाड़ा
अभी बस अभी कुछ दोगले ज़मींदारों ने मेरी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया


अभी बस अभी मैं कविता ही लिख रहा था
एक कम्युनिस्ट किताब ही पढ़ रहा था
कि एक मनुष्यता और देश का हत्यारा कुत्ता की तरह सनक रहा था


कह रहा था कि कविता लिखना छोड़ दो
और कम्युनिस्ट किताबें पढ़ना छोड़ दो


वरना जेल जाओगे
और गरम मसाले की तरह पीसे जाओगे


                             चन्द्र, ग्राम - खेरोनी कछारी गाँव, पो. खेरोनी, जिला - कर्बींलोंग , 782448, आसाम


                                                                                मोबा. -9365909065