कविता - रमुआ का होमवर्क - प्रमोद कुमार

कविता - रमुआ का होमवर्क - प्रमोद कुमार

 

 


रमुआ का होमवर्क

 

 

 

आज रमुआ ने अपना पहला पाठ पढा़ 

 

उसके पास कोई आसमान नहीं

स्कूल का क 

नहीं खोल पाया उसके कबूतर का पंख

 

पैर टिकाने भर की भी 

उसके पास ज़मीन नहीं 

ख से उसकी ज़मीन पर

 दौड़ा नहीं उसका कोई खरगोश

 

रमुआ ने ककहरे में ही पढ़ लिया 

कि विद्यालय उसे रमुआ ही बनाये रखेगा

 

पहले ही दिन रमुआ को मिल गया

एक बड़ा होम वर्क

उसे बनाना है

अपने देश  का नक्शा 

 

एक इस बड़े होम वर्क पर

आज रमुआ के पैरों पर चल

उसके घर आ रहा

उसका अपना स्कूल

 

रमुआ के बस्ते में 

न कोई  सुन्दर पैमाना है

जो मीडिया में दिख सके विकास

न वह काग़ज 

जो नाव बन 

लगा सके उसे अकेले पार

 

 

रमुआ के एक हाथ में है केवल एक लम्बा-चौड़ा सादा कागज़

और दूसरे में उसकी  स्वप्निली पेंसिल

 

रमुआ अभी गढ़ रहा केवल  अपनी नई पेंसिल

पूरी शिक्षा व्यवस्था सावधान है

कि कहीं वह 

पूरा न कर ले अपना होम वर्क।

 

                                                        प्रमोद कुमार,,ई 120, फर्टिलाइजर कालोनी,गोरखपुर 273007

                                                         मो न 9415313535