कविता - जिजीविषा - गौरव भारती,
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जिजीविषा
होते हैं कुछ लोग
जो बार-बार उग आते हैं
ईंट और सीमेंट की दीवार पर
पीपल की तरह
इस उम्मीद में कि-
'एक दिन दीवार ढह जाएगी.
गौरव भारती,शोधार्थी,भारतीय भाषा केंद्र , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
कमरा संख्या-108, झेलम छात्रावास , जे.एन.यू.,पिन-110067
मोबाइल- 9015326408