कविता- तितली - प्रबोध नारायण सिन्हा

कविता- तितली - प्रबोध नारायण सिन्हा


 


तितली


 


 


मैनें


अभी अभी


तितली


होना सीख लिया है


अब


कोई


बन्धन नहीं रहा


तितलियों के संग


उड़ना सीख लिया


उम्र के पड़ाव


भी छोटे हैं


कम उम्र में


ढेर सारे उड़ने के


गुर सीख लिए हैं


मैने भी


तितली होना सीख लिया है


किसी भी फूल पर बैठूं


कुछ भी कोई


कहने वाला नहीं


मैनें भी तितली होना सीख लिया


मैनें


अंतहीन ऊचाईयों से


बातें करना सीख लिया है


जमीन से पहाड़ों के


माथों को


चूमना सीख लिया है


मैनें भी तितली होना सीख लिया है


मैनें भी तितली होना सीख लिया है1


                 प्रबोध नारायण सिन्हा ,  सम्पर्क : ७८ जाफरा बाजार, (लालाटोली), गोरखपुर, उत्तर __ प्रदेश मो.नं. : ९७९२००६३६९