कविताएं - तीन ताप का संताप - नीलकांत सैकिया की असमिया कविताएं

तीन ताप का संताप 


 


मेरे करीब-करीब रहने वाला वह कौन


वह तुम हो या तुम्हारी छाया


आंखों में ख्वाब सीने में हाहाकार


प्राप्ति का एक प्रहर अप्राप्ति का एक महीना।


 


या वह हैं वे-उनकी भग्नता


सीधे-सीधे जीवन जिनका खडत


प्रेम का एक दिन अप्रेम के छह महीने


 


वह आप हैं या आपका वह


देखने-सुनने में सुख से सराबोर


सम्पति-संतान घर-प्रियजन से भरपूर


शांति का एक पल अशांति के बारह महीने।


 


वह आप हैं या आपका दुर्भाग्य


वह मैं हूँ या मेरी किस्मत


या हम सभी युग-यंत्रणा की पैदाइश।


 


विषैले विम्बफल की तरह दमकती सूरत।


अन्दर-अन्दर तीन ताप का संताप।


                                                                                                                                                          अनुवादः दिनकर कुमार