कविता- किसान की उम्र - नीरज नीर

नीरज नीर - जन्म तिथि : 14 फरवरी 1973 राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक अनेक राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकशित कई भाषाओं में कविताओं का अनुवाद काव्यसंग्रह ''जंगल में पागल हाथी और ढोल'' प्रकाशित, जिसके लिए प्रथम महेंद्र स्वर्ण साहित्य सम्मान प्राप्त।


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किसान की उम्र


 


मुझे लगा


उसकी उम्र होगी


साठ पैंसठ बरस।


निस्तेज चेहरा, सूखे हाथ पाँव


धंसी हुई आँखे,


पुराने घिसे कपड़े।


क्या नाम है? कंपाउंडर ने पूछा।


जलेसर महतो।


उमर?


पैंतालीस बरस।


पैंतालीस! मैं चौंका।


डॉक्टर के यहाँ आकर यह झूठ बोल रहा है।


हद है।


यह कैसे हो सकता है पैतालीस का?


अजीब मूढ़ मगज है।


जानता नहीं डॉक्टर को सच बताना चाहिए।


कहाँ से आए हो?


कंपाउंडर ने बेरूखी से पूछा।


नगड़ी से।


क्या काम करते हो?


किसानी ....


उसने लजाते हुए कहा।


और कई तहों में बहुत सम्हाल कर रखे गए


पांच सौ का नोट


बढ़ा दिया बतौर फीस,


जैसे उसने रख दिया हो


अपना कलेजा निकाल कर


कंपाउंडर के हाथ में।


मेरे मन में अब कोई संशय नहीं रहा


उसकी उम्र के प्रति।


आजकल पैतालीस का किसान


साठ का लगता है


                                                      सम्पर्क: ''आशीर्वाद', बुद्ध विहार, पोस्ट-अशोक नगर, राँची-834002, झारखण्ड मो.नं.: 8797777598