कविता - कौन सृजन का मूल ? -विनोद 'निर्भय'

विनोद 'निर्भय'


 


कौन सृजन का मूल ?


 


पर्वत, नदिया, पक्षी, झरने, सूरज, कलियाँ, शूल


आखिर कौन चितेरा इनका


कौन सृजन का मूल? ..


पानी-खाद एक सा देते माली को देखा है।


धूप-छाँव में साथ डोलते डाली को देखा है।


फिर भी क्यूँ बागों में खिलते


भाँति-भाँति के फूल?..........


जाड़े में पड़ता है कितना भीषण गलन - कुहासा।


नल का गरम-गरम पानी देता है लेकिन आशा।।


गर्मी में वापस हो जाता


पानी कैसे कूल? .........


                                                 सम्पर्कः ग्राम-जूड़ापुर, पो.-कुसमौल, जनपद-गोरखपुर-273401, उत्तर प्रदेश, मो. नं.: 9415410271