विनोद 'निर्भय'
कौन सृजन का मूल ?
पर्वत, नदिया, पक्षी, झरने, सूरज, कलियाँ, शूल
आखिर कौन चितेरा इनका
कौन सृजन का मूल? ..
पानी-खाद एक सा देते माली को देखा है।
धूप-छाँव में साथ डोलते डाली को देखा है।
फिर भी क्यूँ बागों में खिलते
भाँति-भाँति के फूल?..........
जाड़े में पड़ता है कितना भीषण गलन - कुहासा।
नल का गरम-गरम पानी देता है लेकिन आशा।।
गर्मी में वापस हो जाता
पानी कैसे कूल? .........
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