रिपोर्ट - रोहिणी अग्रवाल को आलोचना सम्मान

दिनांक १४/१२/२०१८ को इलाहाबाद में ‘केदार स्मति न्यास बांदा' द्वारा प्रो. रोहिणी अग्रवाल को डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान' २०१८ प्रदान किया गया। इस सम्मान समारोह की सदारत, आलोचक प्रोफेसर चौथी राम यादव ने किया। बतौर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि-आलोचक राजेन्द्र कुमार और विशिष्ट अतिथि कहानीकार किरण सिंह उपस्थित थीं। स्वागत वक्तव्य प्रोफेसर संतोष भदौरिया ने दिया। ‘न्यास' के सचिव नरेन्द्र पुण्डरीक ने प्रशस्तिपत्र वाचन किया। संचालन डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ने किया।


    मंचासीन डॉ. दिनेश कुमार ने रोहिणी अग्रवाल की आलोचनात्मक लेखनी पर राजेन्द्र यादव के एक संपादकीय (कविता और कथा के वर्गवादी लेखन) के हवाले के बात प्रारंभ की। साथ ही साथ आलोचक के तीन उद्देश्य/ आवश्यकता (परम्परा का मूल्यांकन, समकालीन परिप्रेक्ष्य और आज की संस्कृति और समाज की गति में योगदान) की बात की। वक्ता किरण सिंह ने कहा, 'इनकी लेखनी परम्परा के मूल्यांकन के साथ नए लेखकों के पक्ष में खड़ी है।' बतौर मुख अतिथि राजेन्द्र कुमार ने कहा 'संवेदना और विवेक के योग' का नाम आलोचना है। इसका गुण सिर्फ हाँ हाँ में ही नहीं, अपितु 'न' ‘न' में भी निहित है। इसके अतिरिक्त इनके लेखन के तीन विन्दुओंः सूक्तियों की दुरूक्तिपरकता, निर्भिकता, विदेशी विद्वानों की उद्धरणों के आतंक से मुक्त, की बात कही। अध्यक्षता कर रहे चौथी राम के कहा, रोहणी अग्रवाल आलोचना की एक समर्थ नाम हैं, जो ‘कथा आलोचना' की कमी को पूरा करती हैं।


    मनीषा जैन को सर्वेश्वर दयाल सक्सेना सम्मान'


     निराला सभागार इलाहाबाद में २२ नवम्बर को साहित्यिकसांस्कृतिक सांस्था ‘संचेतना' द्वारा सम्मान समारोह एवं काव्य पाठ का आयोजन हुआ। यह सम्मान युवा कवयित्री मनीषा जैन को उनकी काव्यकृति ‘रोज गुंथती हूँ पहाड़' के लिए प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राकेश कुमार सिंह (अंग्रेजी विभाग इविवि) ने की। मुख्य अतिथि थे नंदल हितैषी और विशिष्ट अतिथि थे कवि और उपन्यासकार श्री प्रकाश मिश्र। इस सम्मान समारोह के मुख्य संयोजक, ‘संचेतना' अध्यक्ष डॉ. सुनील विक्रम सिंह थे।


    पुस्कृत कवयित्री मनीषा जैन ने अपनी कई कविताओं का पाठ किया। इनके अतिरिक्त डॉ. वीरेन्द्र तिवारी, हिमांशु पाण्डेय, अभिषेक केसरवानी, रामायण प्रसाद, गरिमा सिंह और अवनीश यादव ने भी कविताएं पढ़ीं। पुरस्कृत कृति पर बात रखते हुए वक्ता निर्मला गर्ग ने कहा, 'इनकी कविताओं में प्रेम की सघन अनुभूतियाँ मिलती हैं। विशिष्ट अतिथि श्री प्रकाश मिश्र ने उत्तर आधुनिक परिदृश्य में कविता का मूल्यांकन किया। मुख अथिति नंदल हितौषी ने कहा, ‘रचनाकार सरोकार की तलाश करता है। और अध्यक्ष आर. के सिंह ने कहा, ‘कविता अतीत से प्रेरित रहती है।'


    सम्मान के तौर पर मनीषा जैन को दस हजार रुपये की सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल, श्री फल संस्था की ओर से प्रदान किया गया।


    'मीरा स्मृति सम्मान एवं पुरस्कार' का गौरवशाली आयोजन


      बहुचर्चित प्रकाशन साहित्य भंडार एवं मीरा फाउण्डेशन, इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में मीरा स्मृति पुरस्कार एवं सम्मान समारोह का आयोजन दस नवम्बर २०१८ को, इलाहाबाद के कला संगम, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में किया गया। इस गरिमामयी समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ-आलोचक प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार ने कीमुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ आलोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर (पटना) थे। निर्णायक मंडल की ओर से प्रो. विजय अग्रवाल (रीवा) ने वक्तव्य दिया। इसमें नीरज खरे (बी. एच.यू.) की कृति ‘आलोचना के रंग' को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कृत कृति पर बात रखते हुए प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा, 'आलोचना के रंग के लिए आवश्यक है विवेक का रंग होना, बिना विवेक के अनेक रंग हुए आलोचना का रंग सम्भव नहीं।' संचालन डॉ. अशोक त्रिपाठी ने किया। दूसरा सत्र (सम्मान समारोह) प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित (लखनऊ) की अध्यक्षता में सम्पन हुआ जिसमें बतौर विशिष्ट अतिथि इंन्द्रजीत सिंह ग्रोवर थे। इस सत्र में डॉ. खगेन्द्र ठाकुर (पटना), प्रो. मानसिंह (कुरूक्षेत्र) अजीत पुस्कल (इलाहाबाद) को सम्मानित किया गया। संचालन डॉ. आनंदकुमार श्रीवास्तव ने किया।


    पुरस्कार के तौर पर नीरज खरे को पच्चीस हजार रुपयेकी राशि, शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।


“निराला संचयन' का लोकार्पण और परिचर्चा


    समकालीन कवि विवेक निराला द्वारा संपादित महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला' की आधिकांश कृतियों (कविता, कथा और निबंध) का संग्रह “निराला संचयन' का लोकर्पण एवं परिचर्चा इविवि के ‘निराला सभागार में तीस अगस्त को सम्पन्न हुआ। यह संचयन राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित है। इस लोकार्पण और परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि विष्णु खरे जी थे। बतौर वक्ता प्रो. आशीष त्रिपाठी, प्रो.बद्री नारायण थेसदारत प्रो. राजेन्द्र कुमार ने किया। सभी वक्ताओं ने निराला संचयन पर उसकी सार्थकता उपयोगिता और आवश्यकता पर प्रकाश डाला। अपने खरे स्वर और स्वभाव के लिए मशहूर, विष्णु खरे विद्यार्थी और शोधार्थी की उपयोगिता को लेकर संचयन की प्रशंसा भी की तो, इस संचयन को आम जनता की पहुंच और पकड़ के लिहाज से इसे अधूरा भी कहा। हमें इस बात का खेद है कि ऐसे वेबाक आवाज को हमने खो दिया। यह उनका अंतिम बार इलाहाबाद में आगमन था। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा, 'सबके अपने अपने निराला हैं, पढ़ना सिर्फ शौक नहीं कर्म होना चाहिए। इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के स्वत्वाधिकारी अशोक माहेश्वरी भी मंचस्थ थे। सुन्दर संचालन डॉ. सूर्यनारायण ने किया। समीक्षक डॉ. विध्याचल यादव ने दूधनाथ सिंह के काव्य पक्ष के हवाले से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'उनकी कविताओं में तमतमाता हुआ प्रतिरोध भी है तो भीतर तक मरोड़ती हुई वेदना भी, उन्होंने उत्कंठा और उल्लास को छोड़ वेदना और मृत्युबोध को पकड़ा है।' बतौर वक्ता नलिन रंजन ने कहा, 'महान लेखक वही है जो अपने को सदैव करेक्ट करता हुआ नया रचता चले' और यह गुण दूधनाथ सिंह की रचनाओं में देखा जा सकता है। डॉ. विनोद तिवारी ने उनके कथाकार रूप को याद किया। ‘रीछ' से लेकर ‘माई का शोकगीत' पर बात की। स्वप्निल श्रीवास्तव शख्यियत के साथ-साथ आखिरी कलाम' की ओर झुके। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राजेन्द्र कुमार ने कहा सिर्फ कथाकार कह उनके लेखन के अन्य प्रयासों का नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना संगत नहीं कि वह अब हमारे बीच नहीं बल्कि वह आज यहाँ उपस्थित हैं। संचालन सुधीर सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कवि हरिश्चन्द्र पाण्डे ने दिया। इस दौरान ‘धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे' नाट्य कृति ‘कलरव' और ‘पक्षधर' पत्रिका का विमोचन भी हुआ।


  कविता स्वभाव से स्वाधीन होती है


     कविता न अच्छी होती है, न बुरी होती है और उसकी भूमिका शासन की गुलामी की भूमिका नहीं, बल्कि वह अपने स्वभाव से स्वाधीन होती है। ये बातें निराला सभागार में डॉ. शिवकुमार यादव द्वारा आयोजित ‘कविता का स्वभाव विषय पर बात रखते हुए प्रो. श्री प्रकाश शुक्ल (बी.एच.यू.) ने कही। इस परिचर्चा के अपने अध्यक्षीय वक्तब्य में प्रो. अली अहमद फातमी ने कहा कविता किताबों से नहीं, अपितु जीवन के अथल-पुथल से, कड़वाहट और टकराहट से पैदा होती है। और उसमें शऊरे इल्म से ज्यादा शऊरे कायनात होनी चाहिए। परिचय एवं स्वागत वक्तव्य डॉ. सूर्यनारायण ने दिया। कुशल संचालन कर रहे डॉ. कुमार वीरेन्द्र ने कहा, ‘इनकी कविताओं में देशज शब्दों का प्रयोग देखते बनता है। कविताएं बार-बार पढ़ी जाने की मांग करती हैं। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुधा ने दिया। कवि श्रीप्रकाश शुक्ल ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया।


 निराला स्मृति व्याख्यान


       सेंट जोसेफ के हॉगैन हाल में ५७वीं पूर्णतिथि पर याद किए गए महाप्राण कविवर 'निराला'। जैसा कि २०१८ छायावाद का शताब्दी वर्ष भी है। सौ साल में निगाह न बदले, यथार्थ न बदले तो उन सौ साल का कोई मतलब नहीं। यह जानना जरूरी है कि आखिर सौ साल में हुआ क्या? इतने सारे कवियों के आने के बाद भी छायावादी कवियों की प्रसांगिकता बनी है। निराला ने अपने खाने को पाठक के सामने नही परोसा बल्कि क्रांतिधर्मी पंक्तियाँ दीं।' उक्त बातें बतौर मुख्य वक्ता आलोचक विजय बहादुर (भोपाल) ने रखा। आधार वक्तब्य देते हुए प्रो. कवि राजेन्द्र कुमार ने कहा, “निराला रुपायन ही नहीं रूपांतरण के भी कवि हैं। वह सीधे जनता के हृदय में स्थान बनाने वाले कवि हैं' अतिथियों का स्वागत डॉ. मनोज सिंह तथा संचालन डॉ. सूर्यनारायण ने किया। इस दौरान वरिष्ठ कथाकार नीलकांत, प्रो. संतोष भदौरिया, प्रो. लालसा यादव, डॉ. कुमार वीरेन्द्र, कवि विवेक निराला, डॉ. आशुतोष पार्थेश्वर, डॉ. विश्व कुमार सहित शहर के साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।


                                                                                                                                                                           अवनीश यादव मो.नं.: 9598677625