पंकज कुमार साह - जन्म : 5 अक्टूबर 1987, सीतामढ़ी, बिहार शिक्षा : एम.ए., बी.एड संप्रति : अध्यापन कादम्बिनी, निकट, पुरवाई, ककसाड़, मरूतृण साहित्य, इंदु संचेतना, करूणावती साहित्य धारा, शतदल समय, गंगा मित्र, कौशिकी, चेतांशी के अलावे प्रभात खबर व कुछ वेब पत्रिकाओं (जनकृति, साहित्य मंजरी, प्रतिलिपि, ई न्यूज) में रचनाएं प्रकाशित
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ईश्वर इन दिनों
आपने कभी
ईश्वर को मरते देखा है
ईश्वर को जीवन के लिए
गिड़गिड़ाते देखा है कभी
देखा है कभी ईश्वर को
किस्तों में जान लुटाते हुए
अपने यहाँ
ईश्वर की मौत बदस्तूर जारी है
और हम मंदिरों में ध्यान लगाए बैठे हैं
क्या कहा
ईश्वर को किसी ने नहीं देखा
आपने भी नहीं
तो जाइए जाकर देखिए
अस्पतालों में
खेतों में
रेलों में
सीमाओं पे तड़पते हुए मिलेंगे आपको
अब कण-कण में नहीं
क्षण-क्षण में
ईश्वर दम तोड़ते मिलेंगे आपको।
बस यूं ही
हे भगवान
सादर प्रणाम
ऐसा कुछ नहीं रहा अब
क्योंकि अब आप नहीं रहे
रह गई है बस
आपकी मूर्तियां
मन्दिरों में बुत बनकर
और खत्म हो गई है आस्था
आपके ठेकेदारों की कमाई बनकर
जो न बिकने की चीज थी
वो भी बिक गई
यहाँ तक कि आप भी
यत्र-तत्र सर्वत्र
खुद को मानने वाले भगवान
आप कहीं नहीं
और कहीं के नहीं रहे
मुझे नहीं पता
आपके निवास स्थान की
भौगोलिक स्थिति क्या है इन दिनों
हां ये तय है कि
हां ये तय है कि
आपका इतिहास
हमारे भूगोल का खात्मा करने पर है।
सम्पर्क : रसिकपुर नागडीह, उत्तम लॉज के पास, दुमका,
जिला : दुमका-814101, झारखंड,
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